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सूर्य देव की उपासना को ही कहते हैं ‘पोंगल’ पर्व


ज्योतिष डेस्क : पोंगल का त्योहार खेती और फसलों से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि सूर्य का मकर राशि में एंट्री के साथ ही पोंगल का त्योहार भी शुरु हो जाता है। इस त्योहार पर भी भगवान सूर्य की ही उपासना करते हैं। सूर्य को अन्न और धन का दाता मानकर लोग हर साल इस त्योहार को मनाते हैं और यह त्योहार 4 दिनों तक चलाया जाता है। कृषि एवं फसल से संबंधित देवताओं को समर्पित पर्व पर भगवान सूर्य की ही पूजा की जाती है। गौरतलब है कि तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ होता है ‘अच्छी तरह उबलना’, जिसका पूरा अर्थ निकलात है कि अच्छी तरह उबालकर भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है।तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ होता है ‘अच्छी तरह उबलना’। जिसका पूरा अर्थ निकलात है कि अच्छी तरह उबालकर भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है। 4 दिनों तक चलने वाला ये त्योहार पहले भोगी पोंगल से शुरू होता है। उसके बाद दूसरे दिन सूर्य पोंगल फिर तीसरे दिन मट्ट पोंग और चौथे दिन कन्या पोंगल के रुप में मनाया जाता है। दिन के हिसाब से पूजा होती है। सभी दिन भास्कर भगवान की पूजा होती है। कहते हैं कि प्रकृति और कृषि के लिए भगवान इंद्र की पूजा की जाती है। पहले दिन भोगी पोंगल पर इंद्र भगवान की पूजा होती है ताकि कृषि के लिए अच्छी वर्षा हो। दूसरे दिन सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन चावल से खीर बनाई जाती है और भगवान को अर्पित की जाती है। तीसरे दिन स्नान होता है और चौथे दिन कन्या पोंगल पर घर की सजावट करते हैं।

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