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फ़ैकल्टी कोलिक्वियम प्राप्त करने के बाद गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ : डॉ वहाजुल हक

लखनऊ: सीएसआईआर-सीडीआरआई में बुधवार को आयोजित पहले फ़ैकल्टी कोलिक्वियम में, डॉ. वहाजुल हक ने “छोटे अणुओं का संरचनात्मक अनुकूलन: नई दवाओं की खोज संबंधी अनुसंधान में अवसर” विषय पर अपनि उपलब्धियों को साझा किया।
फ़ैकल्टी कोलिक्वियम के माध्यम सेडॉ. वहाजुल हक के वैज्ञानिक योगदान को मान्यता दी गई है, जिनका सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ के साथ लंबा संबंध रहा है, 1982 में एक जूनियर रिसर्च फेलो के रूप में संस्थान से जुड़ वर्तमान में औषधीय और प्रक्रिया रसायन विभाग के प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. अंतरिम रूप से, वह कई अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में अन्वेषक के तौर पर पर भी अपनी सेवाएँ देते रहे हैं.
डॉ. हक नैदानिक रूप से स्वीकार्य इम्यूनो-स्टिमुलेटर और पेप्टाइड वैक्सीन्स को विकसित करने के लिए साइटोकिन्स और थाइमिक हार्मोन से प्राप्त पेप्टाइड्स के डिजाइन और संश्लेषण में माहिर हैं. उन्होंने एनाल्जेसिक दवाओं के विकास केलिए रिसेप्टर सिलेक्टिव ओपिओइड पेप्टाइड्स को डिजाइन करने के साथ-साथ मादक दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ित मरीजों के उपचार के लिएभी काम किया है. आपने कैंसर,डायबिटीज, परजीवी संक्रमणों के उपचार के लिए लक्ष्य-आधारित विशिष्ट पेप्टाइड्स, पेप्टाइड-मिमेटिक्स और छोटे हेट्रोसायक्लिक अणुओं के विकास के लिए पर बड़े पैमाने पर काम किया है. डॉ. हक ने पेप्टाइड दवाओं के निर्माण की प्रक्रियाके विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अनेक फार्मास्युटिकल कंपनियों में पेप्टाइड निर्माण के लिए सुविधास्थापित करने के लिए परामर्श भी प्रदान किया हैऔर कुछ भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों को इसकी तकनीक भी हस्तांतरित की है. उनके काम का एक बड़ा हिस्सा 130 प्रकाशनों और 31 भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के रूप में परिलक्षित होता है. उन्होंने अनेक शोध छात्रों के पीएचडी गाइडके रूप में मार्गदर्शन भी किया है।

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