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म्यूनिख से क्राइस्टचर्च तक जब हिंसा ने खेलों पर किया वार

नई दिल्ली। दुनिया में खेलों को विश्व शांति का प्रमुख माध्यम माना जाता है। इसके बावजूद विश्व शांति का यह कारगर माध्यम भी हिंसा फैलाने वालों से अछूता नहीं रहा और समय-समय पर यह हिंसा का शिकार होता रहा है। आज क्राइस्टचर्च में हुए आतंकी हमले में 49 लोग मारे गए। हालांकि उस वक्त वहां मौजूद बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाड़ी सुरक्षित बच गए। वह इस हमले के निशाने पर भी नहीं थे। लेकिन अतीत इस बात का गवाह है कि कई बड़े हमले खिलाड़ियों को निशाना बनाकर किये जा चुके हैं।

1972- म्यूनिख ओलंपिक:

खिलाड़ियों को लक्ष्य बनाकर की गई हिंसा की सबसे भीषण घटना 5 सितम्बर, 1972 को हुई थी। जब 11 इज़राइली एथलीटों और कोचों को आतंकियों ने बंदूकों के बल पर बंधक बना लिया था और 16 घंटों के भीतर उनकी हत्या कर दी गई थी। गन प्वाइंट पर बंदी बनाए गए एथलीटों की तस्वीरों को उस समय पूरी दुनिया ने देखा।

1987- न्यूजीलैंड का श्रीलंका दौरा (क्रिकेट):

इस दौरे में तीन टेस्ट मैच खेले जाने थे लेकिन न्यूजीलैंड ने सिर्फ पहले मैच के बाद इसे छोड़ दिया, जब कोलम्बो के उस होटल के पास अलगाववादियों द्वारा भीषण बम विस्फोट किया गया। इस विस्फोट में 113 नागरिकों की मौत हो गई थी।

2002- न्यूजीलैंड का पाकिस्तान दौरा (क्रिकेट):

न्यूजीलैंड की क्रिकेट टीम 2002 में पाकिस्तान का दौरा कर रही थी, जब एक बम उनके होटल के बाहर गिरा, जिसमें 12 लोग मारे गए। खिलाड़ी इसे लेकर बहुत गुस्से में थे लेकिन बोर्ड ने टीम को वापस बुलाने का फैसला किया। इससे एक साल पहले जब न्यूजीलैंड की टीम एक श्रृंखला के लिए पाकिस्तान जा रही थी तो उसी दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 सितंबर को हुए आतंकी हमले के कारण श्रृंखला को अंततः छोड़ दिया गया था।

2009- पाकिस्तान का श्रीलंका दौरा (क्रिकेट):

श्रीलंका की टीम लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में पाकिस्तान के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन खेलने वाली थी। खिलाड़ियों को लेकर जा रही बस को रास्ते में लक्षित कर कम से कम एक दर्जन आतंकियों ने गोलीबारी की। इस हमले में श्रीलंका के छह खिलाड़ी घायल हो गए थे। हमले में खिलाड़ियों की रक्षा करते हुए छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए और बस चालक भी मारा गया। इसके अलावा दो नागरिक भी मारे गए। हमले के बाद श्रीलंका की टीम स्वदेश लौट गई और पाकिस्तान ने तब से अंतरराष्ट्रीय मैच की मेजबानी नहीं की।

2010- अफ्रीकन नेशंस कप फुटबॉल टूर्नामेंट:

टोगो की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की बस अफ्रीकन नेशंस कप के लिए कैबिन्दा के अंगोलन प्रांत से होकर गुजर रही थी। उसी दौरान अलगाववादियों ने टीम की बस पर फायर किये, जिसमें टीम के सहायक प्रबंधक और मीडिया अधिकारी मारे गए।

2019- बांग्लादेश का न्यूजीलैंड दौरा (क्रिकेट):

दौरे के तीसरे और अंतिम टेस्ट के पहले दिन की शुरुआत से पहले बांग्लादेश की क्रिकेट टीम क्राइस्टचर्च में मस्जिद अल नूर मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के लिए जा रही थी, इसके बाद टीम को अभ्यास करने जाना था। उसी दौरान मस्जिद में एक बंदूकधारी ने हमला किया, जिसकी पहचान एक ऑस्ट्रेलियाई चरमपंथी के रूप में हुई। इस हमले में 49 लोग मारे गए। हालांकि हमले में सभी खिलाड़ी सुरक्षित हैं लेकिन टीम ने यह दौरा खत्म कर दिया।

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