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PMC घोटालाः चौथे ग्राहक की हुई मौत, ईडी की हिरासत में रहेंगे मालिक

पीएमसी बैंक घोटाले में शुक्रवार को एक और खाताधारक की मौत हो गई। इसके साथ ही यह आंकड़ा बढ़कर के चार पर पहुंच गया है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल के मालिकों को 22 अक्तूबर तक हिरासत में ले लिया है।

खाते में थे 80 लाख रुपये
बैंक के 82 साल के खाताधारक और मुलुंड इलाके में रहने वाले मुरलीधर ढर्रा काफी लंबे समय से बीमार थे। रिपोर्ट के मुताबिक उनके खाते में 80 लाख रुपये जमा थे। लेकिन आरबीआई द्वारा खातों से पैसा निकालने पर रोक लगाने के बाद वो अपने इलाज के लिए पैसा नहीं ले पा रहे थे। ज्ञात हो कि आरबीआई ने छह माह में केवल 40 हजार रुपये निकालने का आदेश दिया है। सही इलाज न मिल पाने के चलते उनकी मौत हो गई। मुरलीधर के बेटे प्रेम ढर्रा ने बताया कि उनको दिल का दौरा पड़ा। डॉक्टरों ने कुछ दिनों पहले ही बाईपास सर्जरी करने के लिए कहा था।

पूछताछ के बाद लिया हिरासत में
दूसरी तरफ ईडी ने एचडीआईएल के मालिक और घोटाले के आरोपी बाप-बेटे राकेश व सारंग वधावन को 22 अक्तूबर तक हिरासत में ले लिया है। ईडी ने दोनों से लंबी पूछताछ के बाद यह कार्रवाई की।

गौरतलब है कि पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक में 4,355 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद आरबीआई ने पैसे निकालने कुछ प्रतिबंध लगा दिये हैं। इसके तहत बैंक के ग्राहक छह महीने में 40 हजार रुपये ही निकाल सकते हैं। बैंक के इस कदम से बैंक के ग्राहकों में घबराहट फैल गयी है।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार हालात की गंभीरता से वाकिफ है और प्रवर्तन निदेशालय दोषी व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता बिजन कुमार मिश्रा के वकील शशांक सुधी ने पीठ से कहा कि उन्होंने पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक के 500 खाताधारकों की ओर से यह अर्जी दायर की है।

ध्यातव्य है कि पीएमसी बैंक घोटाले के सामने आने के बाद इसके तीन खाता धारकों की मौत हो चुकी है। इनमें से एक ने आत्महत्या कर ली और जबकि दो अन्य का मौत दिल का दौरा पड़ने से हो चुकी है। इन लोगों ने बैंक के खिलाफ हुए धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।

खाताधारकों की मांगें
1. पीएमसी बैंक में नकदी निकालने पर आरबीआई की बताई लिमिट को हटाया जाए।
2. विभिन्न राष्ट्रीय एवं सहकारी बैंकों में जमा गाढ़ी कमाई का बीमा हो।
3. बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिये उच्चाधिकार प्राप्त समिति बने जो सभी सहकारी बैंकों की कार्यशैली पर विचार करे।

क्या है मामला
बैंक के नौ हजार करोड़ रुपये के कर्ज का 70 फीसदी हिस्सा अकेले रियल इस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दे दिया गया। यह कर्ज ‘गैर निष्पादित संपत्ति’ बनकर रह गया था लेकिन बैंक प्रबंधकों ने इस तथ्य को रिजर्व बैंक की जांच पड़ताल से छिपा लिया था।

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