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प्लास्मेप्सिन एंजाइम में टार्गेट-ओरिएंटेड एंटी-मलेरिया दवा के विकास की संभावना : प्रोफेसर गोल्डबर्ग

लखनऊ: सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ में आयोजित किए जा रहे औषधि अनुसंधान एवं विकास के ताज़ा रुझानों पर 7वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (सीटीडीडीआर-2019) के पहले दिन वाशिंगटन विश्वविद्यालय-सेंट लुइस, यूएसए के प्रो. डैनियल गोल्डबर्ग ने उदघाटन सम्बोधन में मलेरिया के उपचार के लिए प्लास्मेप्सिंस को टार्गेट करते हुए नए थेरेप्युटिक दृष्टिकोण के विषय में  जानकारी साझा की. उन्होंने कहा, मलेरिया दुनिया की आधी आबादी को प्रभावित करने वाला एक विनाशकारी परजीवी जनित रोग है. आर्टीमिसिनिन आधारित उपचारों सहित अनेक नई एंटीमलेरियल दवाओं के खिलाफ रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) के तेजी से उभरने की वजह से उपचार की नई कार्यप्रणालियों, नए टार्गेट की खोज नवीन दवाओं के विकास के लिए बेहद जरूरी हो गईहै.

औषधि अनुसंधान महाकुंभ:सीटीडीडीआर-2019 का पहला दिन

उन्होंने आगे कहा कि एस्पार्टिक प्रोटीएज़ ऐसे एंजाइम हैं जिनका एंजाइमैटिक मैकेनिज्म और उनकी एक्टिव-साइट संरचनाओं का ज्ञान उपलब्ध है इस वजह से ये लक्ष्य-आधारित दवा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. मलेरिया परजीवी प्लास्मेप्सिन सिर्फ डिग्रेडेटिव (अपक्षयी) एंजाइम ही नहीं है बल्कि इनमें लक्ष्य टार्गेट-ओरिएंटेड एंटी-मलेरिया दवा के विकास हेतु अभूतपूर्व संभावनाएं हैं. इससे पहले  निदेशक प्रो तपस कुंडू ने अपने स्वागत भाषण में इस सम्मेलन के महत्व के बारे में बताया कि किस तरह से यह औषधि अनुसंधान एवं विकास के लिए अत्याधुनिक एवं नवीन विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक साझा मंच प्रदान कर इस दिशा में योगदान दे रहा है. वही उदघाटन सत्र के बाद ‘कॉन्सेप्ट टू पॉइंट-ऑफ-केयर’ पर एक विशेष सत्र में अकादमिक और फार्मास्यूटिकल उद्योग के अनेक विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों के साथ अपने शोध निष्कर्षों को साझा किया.

क्यूराडेव फार्मा इंडिया के डॉ. अर्जुन सूर्या ने स्टिंग (एसटीआईएनजी) एगोनिस्टश्रेणी के छोटे अणुओं के माध्यम से ठोस ट्यूमर्स के इलाज संबंधी अपने ताज़ा शोध के बारे में चर्चा की. पारज़ा फार्मा, कनाडा के डॉ. अरशद सिद्दीकी ने प्रभावी एंटी-ट्यूमर के तौर पर खोजे गए नवीन कायनेसिन स्पिंडल प्रोटीन (केएसपी) इनहिबिटर्स (अवरोधकों) की औषधि के रूप में विकास पर चर्चा की. माइटोब्रिज इंक,कैम्ब्रिज, यूएसए कैम्ब्रिज, के डॉ भरत लागू ने औषधि अनुसंधान एवं विकास मेंड्रग डिजाइनिंगके बहुआयामी अनुप्रयोगों पर अपने रिसेंट रिसर्च को साझा किया. सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी, सियोल, कोरिया गणराज्य के डॉ यू-क्यॉन्ग ओह ने बताया कि किस तरह से ट्यूमर के माइक्रोएन्वायरमेंट के हिसाब से नेक्स्ट-जनरेशन नैनोमेडिसिन उत्पाद,ट्यूमर कीकीमोअथवा इम्यूनोथेरेपी को प्रभावित करता है. उन्होंने आगे कहा कि हल्के रेडिएशन के साथ दिये गए नैनोमेडिसिन ट्यूमर कोशिकाओं में प्रवेश कर प्रतिरक्षा कोशिकाओं के साथ मिलकर ट्यूमर को आगे बढ्ने से रोक देते हैं. आज के सत्र बहुत जानकारीपूर्ण थे और औषधि अनुसंधान एवं विकास हेतु नई सोच को विकसित करने एवं प्रेरित करने योग्य थे.

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