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सुप्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के जन्म दिवस पर विशेष

विनय सिंह

नयनतारा सहगल ने 1972 से 1975 तक साहित्य अकैडमी के बोर्ड में परामर्शदाता के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं। वर्ष 1977-1978 में वे वर्गीज कमिटी फॉर ऑटोनोमी टू रेडियो एंड टीवी की सदस्य थीं। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सदस्य भी रहीं। उन्होंने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के वाइस प्रेसिडेंट के पद को भी सुशोभित किया था। उन्होंने अपने अंतिम उपन्यास मिस्टेकन आईडेंटिटी में महिला मुक्ति की मांग को एक नई ही ऊंचाई दी।

विजय लक्ष्मी पंडित की पुत्री है नयनतारा सहगल

नई दिल्ली: भारत की सुप्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल का जन्म आज ही के दिन 10 मई , 1927 को भारत के सबसे नामचीन राजनीतिक घराने में हुआ था। वह संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की पहली राजदूत और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी हैं। 1954 में उन्होंने प्रिजन एंड चॉकलेट केक नामक पुस्तक से अपने लेखनी की शुरुआत की जो उनकी आत्मकथा भी थी। नयनतारा सहगल ने कई राजनीतिक प्रसंगों वाली पुस्तकों को लिखा।

द फ्रीडम मूवमेंट इन इंडिया एंड इंदिरा गांधी उनकी चर्चित पुस्तक है। उन्होंने नारीवादी संदर्भों को ध्यान में रखकर काफी कुछ लिखा है। महिलाओं के स्वतंत्र अस्तित्व पर उन्होंने विशेष बल दिया और अपने लेखनों में महिलाओं को परंपरागत भारतीय समाज की भुक्तभोगी के रूप में भी निरूपित किया। उनकी पुस्तक दि डे इन शैडो इसी मर्म को व्यक्त करने के लिए लिखी गई थी।

उन्होंने अपने अंतिम उपन्यास मिस्टेकन आईडेंटिटी में महिला मुक्ति की मांग को एक नई ही ऊंचाई दी। नयनतारा सहगल ने 1972 से 1975 तक साहित्य अकैडमी के बोर्ड में परामर्शदाता के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं। वर्ष 1977-1978 में वे वर्गीज कमिटी फॉर ऑटोनोमी टू रेडियो एंड टीवी की सदस्य थीं। वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की सदस्य भी रहीं। उन्होंने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के वाइस प्रेसिडेंट के पद को भी सुशोभित किया था।

वर्ष 1985 में उन्हें ब्रिटेन के सिनक्लेयर प्राइज से सम्मानित किया गया था। 1986 में उन्हें रिच लाइक अस पुस्तक के लेखन के लिए उन्हें साहित्य अकैडमी अवॉर्ड भी मिला। 1987 में उन्हें कॉमनवेल्थ राइटर्स अवार्ड (यूरेशिया) से भी सम्मानित किया गया था। वह 1981 से 1982 तक वाशिंगटन स्थित वुड्रो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्कॉलर्स की फेलो भी रहीं।

नयनतारा सहगल की कुछ प्रमुख पुस्तकों में लेसर ब्रीड्स, रिच लाइक अस, डे ऑफ रेकोनिंग: स्टोरीज, दि डे इन शैडो, प्लान्स फॉर डिपार्चर, व्हेन दि मून शाइन बाय डे। शामिल हैं।

(लेखक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् है)

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