अगर आप भी पी रहे हैं ‘चिल्ड जार वाटर’ तो सच्चाई जानकर घुम जाएगा आपका दिमाग
हम सभी कइ तरह के खाद्य समग्री बाजार से खरिदते हैं लेकिन वही इस दौरान हम कई सारी गलतियां भी कर देते हैं जिसका हमें अंदाजा भी नहीं होता है कि आखिर वो हमारे लिए कितना नुकसानदेह होगा। जी हाँ आपकी जानकारी के लिए सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि सरकार ने हमारे खाने पीने के चीजों के लिए आईएसआई मार्का का निर्धारण किया है जो खाद्य विभाग की ओर से दिया जाता है। इस लाइसेंस के लिए पानी पाउच व बोतल के बाद अब कूल जार का पानी लोगों की सेहत का दुश्मन बनता जा रहा है। चिल्ड जार के नाम से बिक रहा यह पानी अलग तरह का ही प्रोडक्ट है।
बता दें कि सरकार द्वारा इसे कोई भी मानक प्राप्त नहीं है उसके बावजूद गर्मी के दिनों में ये धड़ल्ले से बिक रहा है। आपको ता दें कि छोटे शहर की बात हो या बड़े शहरों की हर जगह ये बिजनेस फैला हुआ है। अब चिंता का विषय ये है कि अगर आप भी इस पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो जरा सावधान हो जाइए क्योंकि इसका इस्तेमाल कर आप अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जी हां कुछ नहीं तो हमें इतना तो एक बार जरूर सोचना चाहिए कि हम जो पानी पी रहे हैं क्या वो वाकई में शुद्ध है। इस पर गहनता से विचार करना होगा। पानी बेचने वाली कुछ कंपनियां शुद्ध पानी के नाम पर केवल चिल्ड पानी बेचकर मालामाल हो रही हैं।
जानकारी के लिए ये बता दें कि खाद्य विभाग और भारतीय मानक ब्यूरो के नियमों में ये कहीं भी नहीं लिखा गया है कि कूल जार से ठंडे पानी के व्यवसाय किया जा सकता है। वैसे आपको बता दें कि इस बारे में खुद उपभोक्ताओं को भी ये पता नहीं होता है कि 24 घंटे तक ठंडा रहने वाला यह पानी न तो किसी लैब से होकर गुजरता है और न ही परीक्षण से। दरअसल आपको बता दें कि इस पानी को चिल्ड मशीन के जरिए पानी को ठंडा करके सीधे कूल जार में भरकर बेचा जा रहा है और इस तरह से पूरे शहर में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है।
वहीं ये भी बता दें कि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के लिए 59 अलग-अलग तरीकों से पानी को शुद्ध किया जाना है। लेकिन शहर में ऐसी कंपनियां भी चल रही है जो एक कमरे में संचालित हो रहीं हैं। न इनके पास किसी भी तरह का टेस्टिंग लैब है और न ही कोई जरूरी इंफ्रंास्ट्रक्चर है। हाल ही में
एक बड़ा मामला सामने आया है कि भारतीय मानक ब्यूरो का लाइसेंस लिए बगैर ही इन कंपनियों द्वारा चिल्ड वाटर बेचने का धंधा जोरों पर चलाया जा रहा है। एक कमरे में सामान्य फिल्टर लगाकर पानी को शुद्ध करने का खेल चल रहा है। बावजूद इसके यह धंधा शहर में जोरों से फल-फुल रहा है।
जानकारी के लिए ये भी बता दें कि साल 2001-2002 में बीआईएस ने पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर में आईएसआई मार्का की अनिवार्यता को लागू कर दिया है। जिसमें ये साफ तौर पर कहा गया है कि पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर में आईएसआई मार्का आवश्यक भारतीय मानक ब्यूरो, बीआईएस के अनुसार पैकेज्ड ड्रिकिंग वाटर में आईएसआई मार्का होना अनिवार्य है।