मोदी सरकार कालेधन वालों को किसी भी कीमत पर छोड़ने के मूड में नहीं है। इसके लिए सरकार नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेनदेन की जांच में तेजी लाने को कहा है और दायरा भी बढ़ाने का आदेश दिया है।
लेनदेन की जांच होगी तेज
नोटबंदी के बाद बैंकों में खपाए गए कालेधन पर सरकार सभी खातों की बारीकी से जांच करवा रही है। अब सरकार के आदेश पर नोटों को जमा करने के आखिरी दस दिनों के दौरान किसी भी रूप में जमा किए लेनदेन की जांच करवाएगी। आदेश के बाद सरकारी एजेंसियां आखिरी दस दिनों के दौरान बैंक खातों में डिपोजिट, कर्ज अदायगी, ई-वॉलेट में मनी ट्रांसफर और आयात के लिए हुए एडवांस पेमेंट की निगरानी रही है।
सरकार की तरफ से पुराने नोटों को बैंकों में जमा करने के लिए 50 दिन का समय दिया गया था। सभी खातों में कैश डिपोजिटों की जांच तो हो ही रही है। साथ ही अब नोटबंदी के फैसले के बाद टर्म डिपोजिटों और लोन खातों की भी जांच की जा रही।जांच में सबसे पहले उन खातों की जांच होगी, जिनमें गैर पैन नंबर के उल्लेख के 50,000 रुपये से ऊपर की रकम जमा कराई गई है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और ईडी जैसी तमाम एजेंसियां इस संबंध में कार्रवाई कर रही हैं। इस दौरान बैंकों की ओर से संदिग्ध लेनदेन से जुड़ी रिपोर्टिंग चार गुना बढ़ गई है। एजेंसियों का फोकस आरटीजीएस और अन्य माध्यमों से होने वाले नॉन कैश डिपोजिटों पर भी था। इस दौरान खोले गए टर्म डिपोजिट, लोन अकाउंट समेत तमाम नए खातों की जांच की गई।
इस बारे में एक सरकारी अधिकारी ने बताया, नोटबंदी के आखिरी दस दिनों में सरकार ने कैश डिपोजिट करने वाले लोगों, ई-वॉलेट ट्रांसफर और आयात के लिए होने वाले एडवांस पेमेंट पर नजर रखी।