दुनियाभर में चुनावों के माध्यम से लोग राजनेताओं को चुनते हैं। उन्हें चुनने के पीछे लोगों को ये उम्मीद होती है कि वह उनका नेतृत्व करेंगे। उनके देश का विकास करेंगे। लेकिन फिर भी आए दिन नेताओं से जुड़े कई ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें वह रेप, हत्या, घोटाला आदि से जुड़े पाए गए हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ बड़े राजनेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें से कुछ जेल की सजा काट चुके हैं और कुछ अभी भी जेल में ही हैं-
लालू प्रसाद यादव
रांची की विशेष सीबीआई अदालत ने राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में दोषी पाया। जिसके बाद उन्हें पांच साल की जेल की सजा हुई साथ ही उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। लालू प्रसाद यादव समेत 50 लोगों को चारा खरीदने के लिए नकली बिल और वाउचर इस्तेमाल कर कोष से 37 करोड़ रुपये निकालने का दोषी पाया गया। यह तीसरा चारा घोटाला है जिसमें लालू दोषी पाए गए।
सुरेश कलमाड़ी
25 अप्रैल, साल 2011 में कॉमनवेल्थ घोटाले के आरोप में सीबीआई ने सुरेश कलमाड़ी को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद वह देश की सबसे बड़ी जेल में भी गए। कलमाड़ी को खेल से संबंधित पुरस्कारों में धोखाधड़ी, षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली के जेल में 9 महीने बिताने के बाद कलमाड़ी को 2012 की शुरुआत में तिहाड़ भेज दिया गया।
कनिमोझी
डीएमके नेता और एम करुणानिधी की बेटी कनिमोझी को 20 मई 2011 में गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने दिए थे। कनिमोझी के साथ कालगनार टीवी सीईओ शरद कुमार को भी गिरफ्तार किया गया। इनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद गिरफ्तारी हुई। कनिमोझी को तिहाड़ जेल भेजा गया। इसके बाद कनिमोझी ने जमानत की अपील करते हुए कहा कि वह एक महिला हैं और दो बच्चों की मां हैं। बाद में 28 नवंबर, 2011 को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।
बीएस येदियुरप्पा
भाजपा के लिए वो समय शर्मिंदगी भरा था जब पार्टी से दक्षिण भारत के पहले मुख्यमंत्री बने बीएस येदियुरप्पा को जेल जाना पड़ा। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। येदियुरप्पा को 15 अक्तूबर, 2011 को गिरफ्तार किया गया था। विशेष लोकायुक्त अदालत ने उन्हें सरकारी भूमि को दर्शाने में कथित अनियमितताओं में आरोपी पाया। सीने में दर्द के कारण उन्हें 16 अक्तूबर को अस्पताल भेजा गया। इसके बाद वह 17 तारीख को जेल वापस आ गए और उन्हें उसी शाम दोबारा दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 25 दिन जेल में बिताने के बाद वह 8 नवंबर, 2011 को रिहा हो गए।
बंगारू लक्ष्मण
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को 2001 तहलका स्टिंग मामले में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी पाया गया। यह मामला कथित हथियार सौदे से संबंधित था। उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई गई।
महिपाल मदेरणा
राजस्थान के बर्खास्त जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा को सीबीआई ने 3 दिसंबर, 2011 को भवानी देवी लापता मामले में गिरफ्तार किया गया। मामले से संबधित एक सीडी भी सामने आई। जिसके बाद राज्य सरकार ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने महिपाल मदेरणा और कांग्रेस सांसद मलखान सिंह को मामले में कथित भागीदार होने पर बीते साल दिसंबर में गिरफ्तार किया। सरकार के आदेश के बाद मदेरणा और सिंह को जोधपुर जेल के बाहर शिफ्ट किया गया।
अमर सिंह
राज्य सभा सांसद और पूर्व समाजवादी नेता अमर सिंह को 6 सितंबर, 2011 को कैश फॉर वोट स्कैम मामले में 13 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। अमर सिंह समेत अन्य दो आरोपियों को गिरफ्तारी के लिए 19 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया। जिसके बाद अमर सिंह को तीस हजारी कोर्ट ने आंतरिक राहत देते हुए 19 सितंबर तक के लिए जमानत बढ़ा दी थी।
आर बालकृष्ण पिल्लई
अनुभवी केरल के कांग्रेस नेता और सात बार सांसद रह चुके आर बालकृष्ण पिल्लई को फरवरी, 2011 में भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। राज्य सरकार द्वारा छूट के तहत उन्हें 1 नवंबर, 2011 को मुक्त किया गया।
सुशांता घोष
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री सुशांता घोष को सीबीआई ने कंकाल मिलने के मामले में गिरफ्तार किया। वह 2011 में अजय अाचार्या हत्या मामले में हिरासत में लिए गए। आचार्य का कंकाल मिलने के बाद उनके बेटे ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। पश्चिम मिदनापुर जिले के बेनचरपा में घोष के पैतृक घर के पास एक मैदान के गड्ढे में 7 कंकाल मिले थे।
बीबी जागीर कौर
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटि की प्रमुख बीबी जागीर कौर को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। कौर को उनकी बेटी के अपहरण, जबरन गर्भपात और रहस्यमई मौत का दोषी पाया गया। हालांकि बाद में वह हत्या के आरोप से बरी हो गईं। कौर को पटियाला जेल भेजा गया और बाद में कौर ने मांग की कि उन्हें कपूरथला जेल में ट्रांसफर किया जाए। जिसकी बाद में स्वीकृति मिल गई।
पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में दूरसंचार मंत्री रहे और हिमाचल प्रदेश के मंडी से लोकसभा सांसद सुखराम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। सीबीआई ने 1996 में सुखराम के औपचारिक निवास से बैग और सूटकेस में 3.6 करोड़ रुपये की छिपी हुई नकदी बरामद की। 2002 में दिल्ली कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर, 2011 को इस फैसले को कायम करके रखा और सुखराम को 5 साल की जेल की साज सुनाई।