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दिल्ली में ऑड-ईवन पर फैसला आज, महिलाओं से छिन सकती है छूट

delhi-traffic-ap_650x400_81453212423एजेन्सी/नई दिल्ली: दिल्ली में 15 दिनों के ऑड-ईवन फॉर्मूले को मिले समर्थन से उत्साहित दिल्ली सरकार एक बार फिर इसे अमल में लाने की तैयारी में है। सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को इस मुद्दे पर अहम बैठक की। दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने जानकारी दी है कि गुरुवार को ऑड-ईवन के अगले चरण पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आज यानी बुधवार को जनमत संग्रह की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि 10वीं और 12वीं की परीक्षा खत्म होने के बाद अप्रैल में इसे लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पिछली बार महिलाओं को इस नियम से मिली छूट इस बार वापस ली सकती है।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि लाइसेंस प्लेट नीति ‘एक बार फिर’ आएगी जबकि सूत्रों ने कहा कि इसका अगला चरण सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के बाद अप्रैल में लागू किया जाएगा।

मुख्यमंत्री केजरीवाल करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान
सूत्रों ने कहा, योजना फिर आएगी। मुख्यमंत्री सहित मंत्री आज होने वाले संवाददाता सम्मेलन में घोषणा करेंगे।इससे पहले राय ने ट्वीट किया, दिल्ली सरकार कल सम-विषम योजना पर निर्णय करेगी। लोगों का फीडबैक रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से सम विषम योजना को एक से 15 जनवरी तक लागू किया गया था और रविवार को इस योजना से छूट थी।

इसके बाद सरकार ने ई-मेल, मिस्ड कॉल, ऑनलाइन फॉर्म और इंटरेक्टिव वायस सिस्टम से करीब नौ लाख लोगों से संपर्क किया।

लोगों से मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ऑनलाइन फॉर्म से करीब 28 हजार 300 सुझाव प्राप्त हुए जबकि अन्य नौ हजार और एक लाख 82 हजार 808 सुझाव क्रमश: ई..मेल और मिस्ड कॉल से प्राप्त हुए। लोगों का सुझाव जानने के लिए सरकार ने नौ लाख से ज्यादा कॉल किए। इस विषय पर जनसभा करने वाले आप विधायकों ने दावा किया कि इस योजना को फिर से लागू करने के लिए लोगों से ‘उत्साहजनक’ प्रतिक्रिया मिली।

नहीं होगा स्कूल बसों का इस्तेमाल
सम-विषम योजना के पहले चरण में ज्यादातर निजी स्कूलों द्वारा अपनी बसें नहीं दिए जाने से नाराज दिल्ली सरकार ने फैसला किया कि सीबीएसई परीक्षा के बाद दूसरे चरण में निजी स्कूलों की बसों की सेवा की मांग नहीं की जाएगी।

परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि क्योंकि सरकार को पहले चरण के दौरान केवल 300 स्कूली बसें मिली थीं, इसलिए उन्होंने दूसरे चरण में स्कूली बसों की सेवाएं नहीं लेने का फैसला किया है।

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