मुंबई।सोशल इवेंट में बहुत ज्यादा एक्टिव रहने वाली नीता अंबानी के शौक काफी रॉयल हैं। नीता को जूतों का बेहद शौक है। कहा तो यह भी जाता है कि नीता एक बार जिस शूज को पहन लें उसे रिपीट नहीं करतीं। उनके वार्डरोब में दुनिया के महंगे ब्रांड पेड्रो गार्सिया, जिम्मी चू, पेलमोड़ा, मार्लिन आसानी से मिल जाते हैं। हीरों के लिए क्रेजी नीता को घड़ियों का भी बेहद शौक है। नीता को बुल्गारी, कार्टियर, राडो, गुक्सी, केल्विन केलिन और फोसिल जैसे ब्रांड पसंद हैं। उनके बैग में भी हीरे जड़े होते हैं।
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नीता महज अरबपति मुकेश अंबानी की बीवी के तौर पर खुद को पेश नहीं करतीं। वह एक बिजनेस वुमन के साथ कलाकार और समाजसेविका भी हैं।
उनकी नेटवर्थ 7983 करोड़ और औसत वार्षिक इनकम 72 करोड़ हैं साथी ही उनका व्यक्तिगत निवेश 6232 करोड़ा का है।
लग्जरी कारों की शौकीन हैं नीता अंबानी
– नीता अंबानी कारों की बेहद शौकीन हैं। उनके पास दुनिया की चुनिंदा गाड़ियों में से कुछ हैं। वह बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज बेंज, मिनी कूपर, जगुआर और रॉल्स रॉयस ब्रांड रखती हैं। इनकी कीमत करीब 11 करोड़ रुपए है।
– नीता ने वर्ष 2012 में एक मेंशन खरीदा था, जिसकी कीमत 258 करोड़ रुपए है। इसके अलावा भी उनके पास कई संपत्ति हैं।
– उनके 44वें जन्मदिन पर पति मुकेश अंबानी ने उन्हें प्राइवेट जेट एअरबस 319 गिफ्ट किया था।
एक शिक्षिका
मेरे दादा जी कोलकाता में फ्रेंच भाषा के प्रोफेसर थे, हालांकि मैं उनसे कभी मिल नहीं पाई। मैंने शादी के बाद पढ़ाना शुरू किया। मुकेश उन दिनों पातालगंगा प्लांट में व्यस्त थे। तभी हमने तय किया कि इस पिछड़े इलाके में हमें एक स्कूल खोलना चाहिए। यह एक ऐसा प्रोफेशन है जिसे मैं अपनी बाकी जिंदगी में हमेशा करते रहना चाहूंगी। बाद में मुझे लगा कि अगर हम बेहतर एजुकेशन मुंबई जैसे शहर में उपलब्ध करा सकें तो उन छात्रों के लिए सुविधा होगी जो विदेश का रुख करते हैं। इस तरह से हमने मुंबई में धीरू भाई अंबानी स्कूल की शुरुआत की। मेरा मानना है कि किसी भी देश की तरक्की के लिए शिक्षा सबसे अहम है।
मेरे दादा जी कोलकाता में फ्रेंच भाषा के प्रोफेसर थे, हालांकि मैं उनसे कभी मिल नहीं पाई। मैंने शादी के बाद पढ़ाना शुरू किया। मुकेश उन दिनों पातालगंगा प्लांट में व्यस्त थे। तभी हमने तय किया कि इस पिछड़े इलाके में हमें एक स्कूल खोलना चाहिए। यह एक ऐसा प्रोफेशन है जिसे मैं अपनी बाकी जिंदगी में हमेशा करते रहना चाहूंगी। बाद में मुझे लगा कि अगर हम बेहतर एजुकेशन मुंबई जैसे शहर में उपलब्ध करा सकें तो उन छात्रों के लिए सुविधा होगी जो विदेश का रुख करते हैं। इस तरह से हमने मुंबई में धीरू भाई अंबानी स्कूल की शुरुआत की। मेरा मानना है कि किसी भी देश की तरक्की के लिए शिक्षा सबसे अहम है।
समर्पित मां
एक बेटी, पत्नी, मां, टीम लीडर और शिक्षक के तौर पर मैं हर किरदार को जीना पसंद करती हूं। लेकिन एक मां के तौर पर बच्चे मेरी प्राथमिकता हैं। मैं शादी के आठ साल बाद मां बनी और यह मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था। मैं हमेशा अपने बच्चों के संपर्क में रहती हूं। मुझे पता होता है कि मेरा कौन सा बच्चा कब कहां क्या खा-पी रहा है या कहां वक्त बिता रहा है। उनकी समस्याओं का समाधान मैं और मुकेश मिलकर करते हैं। अगर मैं आईपीएल के दौरों में व्यस्त हूं तो यकीनन वही बच्चों का ध्यान रखते हैं।
फिटनेस फ्रीक
मैं हर रोज सुबह 7 बजे तक बिस्तर छोड़ देती हूं। मेरे दिन की शुरुआत डांस प्रैक्टिस से होती है। इसके बाद मैं काम पर जाती हूं, फिर चाहे वह स्कूल हो, आईपीएल या फिर अस्पताल और ऑफिस। मैं अपने सारे काम हर रोज एक ही जगह पर करना पसंद नहीं करती हूं। अगर मैं स्कूल में हूं तो सारी मीटिंग्स वहीं होंगी। आईपीएल के दौरान सारा काम या तो स्टेडियम में होता है या फिर जहां मेरी टीम के खिलाड़ी ठहरे हुए हों वहां। हॉस्पिटल में होने के दौरान भी मैं अपनी सारी मीटिंग्स वहीं निपटाती हूं। स्विमिंग, डांसिंग और बच्चों के साथ वक्त बिताना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। मेरे लिए डांस मेडिटेशन और पूजा की तरह है।
मैं हर रोज सुबह 7 बजे तक बिस्तर छोड़ देती हूं। मेरे दिन की शुरुआत डांस प्रैक्टिस से होती है। इसके बाद मैं काम पर जाती हूं, फिर चाहे वह स्कूल हो, आईपीएल या फिर अस्पताल और ऑफिस। मैं अपने सारे काम हर रोज एक ही जगह पर करना पसंद नहीं करती हूं। अगर मैं स्कूल में हूं तो सारी मीटिंग्स वहीं होंगी। आईपीएल के दौरान सारा काम या तो स्टेडियम में होता है या फिर जहां मेरी टीम के खिलाड़ी ठहरे हुए हों वहां। हॉस्पिटल में होने के दौरान भी मैं अपनी सारी मीटिंग्स वहीं निपटाती हूं। स्विमिंग, डांसिंग और बच्चों के साथ वक्त बिताना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। मेरे लिए डांस मेडिटेशन और पूजा की तरह है।
बेहतर मैनेजर
सामन्य दिनों में मैं फोन पर बात करने के लिए बाहर जाती हूं, लेकिन एडमिशन के दिनों में मैं अपना मोबाइल हर हाल में स्विच ऑफ कर देती हूं। जहां तक आईपीएल की बात है तो क्रिकेट में मेरा नॉलेज जीरो था, न ही मेरी रुचि थी। दरअसल मुकेश ने टीम खरीदी। लगातार दो सालों तक हम सीरीज में निचले पायदान पर रहे। तब मैंने तय किया कि अब बेहतर करना है। उसके बाद मैंने लगातार एक साल चौबीसों घंटे क्रिकेट को जीने की कोशिश की। हर तरह के मैच देखे। उस दौरान मेरा मकसद सिर्फ सीखना था।
सामन्य दिनों में मैं फोन पर बात करने के लिए बाहर जाती हूं, लेकिन एडमिशन के दिनों में मैं अपना मोबाइल हर हाल में स्विच ऑफ कर देती हूं। जहां तक आईपीएल की बात है तो क्रिकेट में मेरा नॉलेज जीरो था, न ही मेरी रुचि थी। दरअसल मुकेश ने टीम खरीदी। लगातार दो सालों तक हम सीरीज में निचले पायदान पर रहे। तब मैंने तय किया कि अब बेहतर करना है। उसके बाद मैंने लगातार एक साल चौबीसों घंटे क्रिकेट को जीने की कोशिश की। हर तरह के मैच देखे। उस दौरान मेरा मकसद सिर्फ सीखना था।