कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- विचाराधीन महिला कैदियों को तुरंत मिलनी चाहिए जमानत
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को सुझाव दिया कि ऐसी विचाराधीन महिला कैदियों को तुरंत रिहा कर दिया जाना चाहिए जिन्होंने उनके ऊपर लगे आरोप में मिलने वाली अधिकतम सजा की एक चौथाई अवधि जेल में बिता दी हो। प्रसाद ने सीआरपीसी की धारा 436-ए का जिक्र करते हुए कहा, विचाराधीन कैदियों के लिए जमानत के प्रावधानों पर मुझे कुछ खास सुझाव देने हैं। इस धारा के मुताबिक यदि किसी विचाराधीन कैदी ने अपने अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सजा का आधा हिस्सा जेल में बिता लिया है तो उसे अवश्य ही जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। यह इस बारे में भी प्रावधान करता है कि जिला न्यायाधीशों की अध्यक्षता में समीक्षा समितियां ऐसे मामलों की छानबीन करेंगी जिनमें विचाराधीन कैदी काफी समय से जेल में हैं।
प्रसाद ने कहा कि समीक्षा समिति को और अधिक प्रभावी तरीके से काम करने की जरूरत है। इस प्रावधान का और अधिक कारगर तरीके से क्रियान्वयन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी मामलों में आरोपी सजा की पूरी अवधि बतौर विचाराधीन कैदी जेल में गुजार देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं यह सिफारिश करूंगा कि यदि किसी महिला कैदी ने अपनी सजा की अवधि का एक चौथाई हिस्सा जेल में गुजार दिया है तो उसे फौरन रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने कई सारे लंबित आपराधिक अपीलों के बारे में भी चिंता जताई और 10 साल या इससे अधिक समय से लंबित मामलों की त्वरित सुनवाई किये जाने की जरूरत पर जोर दिया।
प्रसाद यहां राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण की 17 वहीं अखिल भारतीय बैठक के उदघाटन के अवसर पर न्यायाधीशों और वकीलों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व भारत की ओर देखता है और इसके द्वारा उठाए गए कुछ कदमों का अनुकरण भी करता है।