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मुफ्त टीकाकरण का ऐलान यानी सबके स्वास्थ्य का ध्यान

मुफ्त टीकाकरण का ऐलान यानी सबके स्वास्थ्य का ध्यान

सियाराम पांडेय ‘शांत’ : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि भारत के सभी नागरिकों को कोविड-19 का टीका मुफ्त लगाया जाएगा। कोरोना के चलते लोगों को लंबे समय तक लॉकडाउन में रहना पड़ा। इस नाते अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई। लोग परेशान थे कि कोरोना का टीका न जाने कितना महंगा होगा। घर के हर सदस्य को टीका लगवाना सबके लिए मुमकिन भी नहीं था। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की इस घोषणा से लोगों को बहुत राहत मिली है।

कोरोना का टीका कब से लगेगा, यह तय नहीं हुआ है लेकिन भारत के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में कोविड-19 के टीकाकरण का पूर्वाभ्यास हो रहा है। इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। वैक्सीन को निर्धारित तापमान में रखने के लिए देशभर में कोल्ड चेन की व्यवस्था की गई है। एक भी कोरोना वैक्सीन खराब न हो, इसका ध्यान दिया जा रहा है। इन तैयारियों से पता चलता है कि केंद्र सरकार इस भयानक बीमारी से निपटने को लेकर कितनी गंभीर है? देश में लॉकडाउन लगाने से लेकर लोगों को जागरूक करने तक के उपक्रम में सरकार के नुमाइंदों और यहां तक कि भाजपा के हर कार्यकर्ता को मैदान में उतार दिया गया है।

कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट, कोरोना से स्वस्थ होने वाले लोगों की लगातार बढ़ती संख्या और कोरोना के सक्रिय मामलों में आई उल्लेखनीय कमी एक स्वस्थ संकेत है लेकिन इसपर बहुत उत्साहित होने की नहीं, बल्कि संक्रमण को समाप्त करने को लेकर बेहद गंभीर होने की जरूरत है। इसमें शक नहीं कि भारत का निर्यात पिछले तीन माह में काफी घटा है और उसकी अर्थव्यवस्था में भी काफी गिरावट आई। इसके बाद भी सरकार अगर कोरोना का टीका सबको मुफ्त लगाने की बात कर रही है और वह भी तब जब अपने देश के लोगों की सुरक्षा के लिहाज से वह रूस और अमेरिका से वैक्सीन खरीद रही है, तो यह केंद्र सरकार की संवेदनशीलता नहीं तो और क्या है?

सरकार को लगता है कि देश स्वस्थ रहेगा तो अर्थव्यवस्था अपने आप ठीक हो जाएगी। नीतिकारों ने तो यहां तक कहा है कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है। सरकार इस धन को अगर बचा रही है तो इसे सबसे बड़ी नेमत माना जाना चाहिए। विपक्ष सरकार की इस भावना की तारीफ करने की बजाय उसपर निशाना साधने को ही अपना धर्म समझ रहा है। उसे सोचना होगा कि सरकार किसी को कोरोना से डरा नहीं रही बल्कि जन-जन को संक्रमण से बचने के प्रति सचेत कर रही है। इस देश में पहले भी ढेर सारे टीकाकरण अभियान चल चुके हैं। शुरुआती दौर में उसे लेकर तमाम भ्रांतियां भी फैलाई गईं लेकिन जनता ने देर-सबेर उसे अपनाया। इसका लाभ हमारे सामने हैं। देश चेचक, पोलियो जैसी बीमारियों के प्रभाव से लगभग मुक्त हो चुका है।

इसमें संदेह नहीं कि कोरोना को लेकर पूरा देश परेशान है। पूरी दुनिया परेशान है। दुनिया के 191 देशों में 8.39 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 18.27 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कौन कब इस संघातक बीमारी की चपेट में आ जाए, कहा नहीं जा सकता। हर आदमी डरा-सहमा सा है और इसका असर रिश्तों पर भी पड़ा है। सामाजिक दूरी बनाते-बनाते इंसान कब और कितना अपनों से दूर हो गया है, यह बता पाना उसके लिए भी मुमकिन नहीं है। कोरोना के भय से लोग अभिवादन पर उतर आए हैं। पाश्चात्य देशों में भी लोग हाथ जोड़कर अभिवादन करने को सुरक्षा के लिहाज से मुफीद समझते हैं।

कोविड-19 से निपटने के लिए दुनिया भर में टीकाकरण की तैयारियां तेज हो गई हैं। कई देशों में तो टीकाकरण अभियान का आगाज भी हो चुका है। वैक्सीन के फॉर्मूले चुराने से लेकर उसकी कालाबाजारी की मंशा पाले लोग भी सक्रिय हो गए हैं। पहले चरण में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोविड-19 का टीका लगाया जाना है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ड्राई रन शुरू करना एक बड़ा अभियान है। इससे पहले देश के चार राज्यों के दो-दो जिलों में वैक्सीनेशन टीकाकरण की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पूर्वाभ्यास किया गया था। पूर्वाभ्यास के दौरान यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई कि टीकाकरण के लिए लोगों का ऑनलाइन पंजीकरण, डाटा एंट्री,लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजने और टीका लगने के बाद इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणपत्र जारी करने में कोई परेशानी तो नहीं आ रही है।

जो लोग धार्मिक आधार पर कोविड-19 के टीके के विरोध कर रहे हैं। अपने धर्मगुरुओं की अपील को भी नजरंदाज कर रहे हैं, उन्हें सोचना होगा कि जीवित व्यक्ति का ही धर्म होता है। जिंदा रहने के लिए स्वस्थ रहना जरूरी है। यह बात जबतक समझी नहीं जाएगी तबतक वास्तविकता को जान पाना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा।

अपने को सर्वशक्तिमान समझने वाले अमेरिका में कोरोना से सर्वाधिक 2.01 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं जिसमें 3,47,787 लोग कालकवलित हो गए हैं। कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा वहां निरंतर बढ़ ही रहा है। अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में सर्वाधिक 23 लाख लोग संक्रमित हुए हैं जबकि टेक्सास में 17.7 लाख, फ्लोरिडा में 13.2 लाख, न्यूयाॅर्क में 979,000 और इलिनॉयस में 963,000 लोग संक्रमित हुए हैं। ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन मिलने के बाद दुनिया के तमाम देशों ने वहां अपने विमानों की आवाजाही रोक दिए हैं।

ब्राजील में कोरोना संक्रमितों की संख्या 77 लाख से ज्यादा हो गयी है जबकि इस महामारी से वहां 1,95,411 मरीजों की मौत हो चुकी है। रूस में 31.54 लोग कोरोना संक्रमित हैं, वहां इस बीमारी से 56,798 लोगों की मौत हुई है। फ्रांस में 26.97 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से प्रभावित हुए हैं और 64,892 मरीजों की मौत हाे चुकी है। ब्रिटेन में 25.49 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं और 74,237 लोगों की मौत हुई है। तुर्की में 21,093, इटली में 74,621,स्पेन में 50,837 ,जर्मनी में 33,885,कोलंबिया में 43,495 लोगों ने कोरोना से अपनी जान गंवाई है। अर्जेंटीना में 43,319,मेक्सिको में 1,26,507, पोलैंड में 28,956,ईरान में 55,337, यूक्रेन में 19,437,दक्षिण अफ्रीका में 28,887,पेरू में 37,680, नीदरलैंड में 11,624 ,इंडोनेशिया में 22,329 लोगों की जान कोरोना ने ली है।

इतना सब जानने के बाद भी अगर हम भारतवासी कोरोना को सामान्य बीमारी मानने की भूल करें, केंद्र सरकार पर अपनी कमियों को छिपाने का बहाना बनाने के आरोप लगाएं तो इससे अधिक विडंबना और क्या हो सकती है? यह समय आरोप और संशय से परे जाकर कोरोना से लड़ने का है। यह समय देश के चिकित्सकों की सलाह मानने और खुद को सुरक्षित रखने का है, अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का है। बेहतर होता कि इस देश का हर इंसान जाति-धर्म से ऊपर उठकर खुद को कोरोना से मकड़जाल से बचाने का प्रयास करता। खुद टीके लगवाता और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करता।

(यह लेखक के स्वतंत्र विचार है)

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