चोटी कटने की अफवाह से इस तरह फल-फूल रहा तंत्र-मंत्र का कारोबार
इसी साल जून माह में राजस्थान के जोधपुर से शुरू हुआ चोटी कटने का सिलसिला दिल्ली-NCR समेत कई राज्यों में दस्तक दे चुका है. महिलाओं की चोटी कटने का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. कुछ लोग इसे भूत-प्रेत का साया बता रहे हैं तो कोई इसके पीछे शरारती तत्वों का हाथ होने की बात कह रहा है. वहीं कुछ लोग इस घटना से छुटकारा दिलाने के नाम पर तंत्र-मंत्र की आड़ में मालामाल हो रहे हैं.
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जिन जगहों पर ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, उन इलाकों में चोटी कटने के खौफ से महिलाओं ने घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है. खौफ की यह तस्वीर इतनी गंभीर है कि लोग कैसे भी करके इस परेशानी से छुटकारा पाना चाहते हैं. ग्रामीण इलाकों में तो लोग बाकायदा तांत्रिकों की मदद ले रहे हैं.
तंत्र-मंत्र की आड़ में तांत्रिकों की चांदी हो रही है. वह तरह-तरह के उपाय बताते हुए लोगों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं. वहीं छावला स्थित कांगनहेड़ी गांव के लोगों ने घरों के बाहर नीम, नींबू-मिर्च आदि लटका रखा है, तो कहीं हाथ के थापे घरों के बाहर चोटी काटने वाले साये से उनकी रक्षा कर रहा है.
इन उपायों को प्रयोग में लाने वाले लोगों के मुताबिक, यह सब टोटके करने से चोटी काटने वाले पास नहीं आते हैं. चोटी कटने की घटना से लोग खौफजदा है तो वहीं दूसरी ओर इससे समाज में अंधविश्वास भी जरूर पनप रहा है. दरअसल ‘मास हिस्टिरिया’ की यह घटना धीरे-धीरे कई राज्यों में पहुंच चुकी है.
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‘मास हिस्टिरिया’ एक मानसिक समस्या है. इस समस्या के तहत एक स्थान विशेष में रहने वाला पूरा समूह किसी अफवाह पर भरोसा कर लेता है और उसे सच मानने लगता है. इसका परिणाम ऐसा होता है कि लोग जाने-अनजाने इस तरह की हरकतें करने भी लगते हैं. ‘मुंह नोंचवा’ और ‘मंकी मैन’ इसके सटीक उदाहरण हैं.