ज्ञान भंडार
जहरीले सांप को पकड़कर खा जाता है यह बच्चा, जंजीर से बांध रखते हैं मां-बाप
मुजफ्फरपुर.दिन-रात जंजीर से बंधे सात साल के इस बच्चे को देख लोगों की आंखें झलक जाती है। खेलने कूदने की उम्र में मंतोष कुमार जानवरों की तरह खंभे से बंधा रहता है। मां इंद्रा देवी की ममता इस बात की इजाजत नहीं देती की अपने लाल को बांध कर रहे, लेकिन वह हालात के आगे मजबूर है। खुला छोड़ने पर उसका लाल सांप तक को जिंदा चबा जाता है। मंतोष के काटने से सांप की हो गई थी मौत…
– यह कहानी है बिहार के मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के मझौलिया गांव के मंतोष कुमार की।
– मंतोष मानसिक रूप से दिव्यांग है। वह बोल नहीं पाता। पिछले चार साल से अजीब हरकतें करने लगा है।
– वह कीड़े मकोड़ों को पकड़कर खा जाता है। एक बार तो मंतोष ने जहरीले सांप को पकड़ लिया और उसे जिंदा चबाने लगा।
– हैरत की बात यह थी की सांप ने मंतोष को काट लिया, लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ। उल्टे मंतोष द्वारा काटे जाने पर सांप की मौत हो गई।
– इसके बाद से किसी अनहोनी की डर से मां-बाप मंतोष को बांधकर रखने लगे।
– यह कहानी है बिहार के मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के मझौलिया गांव के मंतोष कुमार की।
– मंतोष मानसिक रूप से दिव्यांग है। वह बोल नहीं पाता। पिछले चार साल से अजीब हरकतें करने लगा है।
– वह कीड़े मकोड़ों को पकड़कर खा जाता है। एक बार तो मंतोष ने जहरीले सांप को पकड़ लिया और उसे जिंदा चबाने लगा।
– हैरत की बात यह थी की सांप ने मंतोष को काट लिया, लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ। उल्टे मंतोष द्वारा काटे जाने पर सांप की मौत हो गई।
– इसके बाद से किसी अनहोनी की डर से मां-बाप मंतोष को बांधकर रखने लगे।
कीड़े-मकोड़े खा लेता है बच्चा
– मंतोष के माता-पिता बेहद गरीब है। वे मजदूरी कर पेट पालते हैं।
– वे मजदूरी करने जाते हैं तो बच्चे को कभी टेलीफोन के पोल से, कभी खंभे से तो कभी चापाकल से बांधकर जाते हैं।
– सोते समय मंतोष की जंजीर को चौकी से बांधा जाता है, जिससे वह उठकर कहीं भाग न पाए।
– मां इन्द्रा देवी कहती है कि खुला छोड़ने पर यह हिंसक हो जाता है। सामने जो आए उसपर हमला कर देता है।
– खुला रहने पर वह इधर-उधर भागता है। चलती गाड़ी को पकड़ने के लिए दौड़ता है।
– कीड़े-मकोड़े, यहां तक कि सांप को भी पकड़ लेता है और उसे मुंह तक ले जाता है।
– वह खाने-पीने को भी कुछ नहीं मांगता, जो हाथ लगता उसे खा लेता। मां उसे समय पर खाना और पानी देती है, लेकिन वह ठीक से खाता नहीं है।
– मां-बाप के पास मानसिक रूप से बीमार बच्चे के सही इलाज के लिए पैसे नहीं हैं।
– पिता नागेश्वर महतो ने कहा कि दो साल पहले बेटे को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल ले गए थे। वहां डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई।
– मंतोष के माता-पिता बेहद गरीब है। वे मजदूरी कर पेट पालते हैं।
– वे मजदूरी करने जाते हैं तो बच्चे को कभी टेलीफोन के पोल से, कभी खंभे से तो कभी चापाकल से बांधकर जाते हैं।
– सोते समय मंतोष की जंजीर को चौकी से बांधा जाता है, जिससे वह उठकर कहीं भाग न पाए।
– मां इन्द्रा देवी कहती है कि खुला छोड़ने पर यह हिंसक हो जाता है। सामने जो आए उसपर हमला कर देता है।
– खुला रहने पर वह इधर-उधर भागता है। चलती गाड़ी को पकड़ने के लिए दौड़ता है।
– कीड़े-मकोड़े, यहां तक कि सांप को भी पकड़ लेता है और उसे मुंह तक ले जाता है।
– वह खाने-पीने को भी कुछ नहीं मांगता, जो हाथ लगता उसे खा लेता। मां उसे समय पर खाना और पानी देती है, लेकिन वह ठीक से खाता नहीं है।
– मां-बाप के पास मानसिक रूप से बीमार बच्चे के सही इलाज के लिए पैसे नहीं हैं।
– पिता नागेश्वर महतो ने कहा कि दो साल पहले बेटे को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल ले गए थे। वहां डॉक्टर को बीमारी समझ में नहीं आई।
– 2014 में नागेश्वर बेटे को लेकर PMCH गए थे। मंतोष ने चेकअप के दौरान डॉ. आर. अहमद पर हमला कर दिया था, जिसके बाद डॉक्टर ने इलाज करने से मना कर दिया।