गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान पर कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां हर धर्म, हर जाति को समानता का अधिकार है। इसके बाद भी फिल्म अभिनेता ने ऐसा बयान क्यों दिया, यह समझ से परे है।
गौरतलब है कि शाह ने पिछले दिनों कहा था कि देश की हवाओं में जहर घुल चुका है और इस बात पर उन्हें गुस्सा आता है। उन्होंने कहा था कि मुझे अपने बच्चों के लिए डर लगता है। उनके बयान को राजनीति से प्रेरित भी कहा गया था। जिस पर गृहमंत्री ने आज जवाब दिया।
राजनाथ रविवार को केजीएमयू के 114वें स्थापना दिवस पर अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान 86 छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को सम्मानित किया गया।राजनाथ सिंह ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में स्वास्थ्य सेवाओं की हिस्सेदारी अभी 1.16 फीसदी है। इसे बढ़ाकर ढाई फीसदी करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा शासित राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं में हुआ सुधार
गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र के साथ ही भाजपा शासित राज्यों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ है, लेकिन अभी यह नाकाफी है। देशभर में डॉक्टरों की कमी है। सरकार की ओर से मेडिकल पीजी की चार हजार सीटें बढ़ाने के बाद देशभर में पीजी की कुल सीटें करीब 35 हजार हो गई हैं, लेकिन इसे और बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए संसाधनों का विकास किया जा रहा है।
सरकार की कोशिश है कि चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा को बेहतरीन और अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया जाए। उन्होंने आयुष्मान योजना की तारीफ करते हुए कहा कि पूरे विश्व में इस तरह की कोई योजना नहीं है। इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां आ रही हैं, लेकिन डॉक्टरों के सहयोग से इसका क्रियान्वयन शुरू हो गया है।
हनुमानजी पर राजनीति ठीक नहीं
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हनुमानजी सभी के आराध्य हैं। उन्हें किसी जाति व धर्म ने नहीं बांधा जा सकता है। उनके नाम को लेकर राजनीति करना ठीक नहीं हैं। हनुमानजी को जाति व धर्म के बंधन में बांधने वाले गलतबयानी कर रहे हैं। जनता सब जानती है।
चिकित्सा सेवा अपने आपमें साधना
गृहमंत्री ने चिकित्सकों से कहा कि मंदिर में पूजा या मस्जिद में इबादत से कई गुना अधिक पुण्य मरीजों की सेवा से मिलता है। चिकित्सा सेवा अपने आपमें साधना है। उन्होंने कहा, अपने चिकित्सक मित्रों के अनुभव से यह दावा करता हूं कि मरीज के ठीक होने से जो खुशी मिलती है, वह करोड़ों रुपये कमाकर नहीं पाई जा सकती।
एम्स का दर्जा देने में कानून आड़े
केजीएमयू वीसी प्रो. एमएलबी भट्ट की ओर से केजीएमयू को एम्स का दर्जा दिलाने की मांग पर गृहमंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर चिकित्सा मंत्री से बात हुई है। उनका तर्क है कि केजीएमयू को एम्स का दर्जा देने के लिए पॉलिसी में बदलाव करना होगा। अब सरकार के पास वक्त कम है। ऐसी स्थिति में पॉलिसी में बदलाव कर पाना संभव नहीं है। फिर भी केजीएमयू को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए कैबिनेट में चर्चा की जाएगी।