नाखुश बच्चे वयस्क होने पर बनते हैं ज्यादा भौतिकवादी
—जीवनशैली––
एम्सटर्डम।दस्तक ब्युरो सच ही कहा गया है कि खुशी हजार समस्याओ का हल है और अगर किसी का बचपन खुशियों से भरा रहा हो तो उसे आगे की जिंदगी में चुनौतियां का सामना करने में आसानी होती है। लेकिन अगर बचपन में किसी के हिस्से में खुशियाँ कम आयी हों तो वैसे बच्चे आगे चलकर चिड़चिडे़ होने के साथ साथ भौतिकवादी भी बन जाते हैं।
प्रसिद्ध शोध पत्रिका लाइव साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक नाखुश बच्चे खुश रहने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा भौतिकवादी होते हैं। नीदरलैंड के एम्सटर्डम स्कूल आफ कम्युनिकेशन रिसर्च की शोधकर्ता सुजैन ओप्री ने अपने इस शोध के जरिये यह पता लगाया है कि जो बच्चे अपनी जिंदगी से खुश नहीं होते हैं। वे समय के साथ साथ रिश्तों और भावनाओं की अपेक्षा भौतिक सुख सुविधाओ को ज्यादा तरजीह देने लगते हैं। शोध के मुताबिक नाखुश बच्चों के भौतिकवादी बनने के पीछे एक और वजह विज्ञापन है। विज्ञापन देखकर नाखुश बच्चों को यह लगता है कि अगर उनके पास सुख सुविधा ज्यादा रहेगी तो वह खुश हो सक ते हैं। खुश रहने के लिये वे ज्यादा भौतिकवादी बनते चले जाते हैं। इससे पहले यह माना जाता था कि भौतिकवादी बच्चे बडे होनेपर नाखुश रहते हैं लेकिन इस नये शोध से पता चला है कि बच्चे पहले नाखुश होते हैं और इसी वजह से भौतिकवादी बनते हैं।