बच्चों की शिक्षा के लिए सार्थक प्रयास किए जाने की जरूरत: मुखर्जी
एजेंसी/ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि सिर्फ कानून लागू करना ही नहीं, बल्कि सुविधाओं से वंचित बच्चों के लिए और अधिक काम किए जाने की जरूरत है. उनकी शिक्षा के लिए सही तरह का बुनियादी ढांचा बनाए जाने की जरूरत है.
यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केवल सरकार की कोशिशें इस शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त नहीं है. मुखर्जी ने कहा, भारत में, हमने 14 साल की उम्र तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देने के लिए कानून लागू किया है. फिर भी, सुविधाओं से वंचित बच्चों को इसके दायरे में लाने के लिए और उनकी शिक्षा के लिए सही तरह का बुनियादी ढांचा बनाने के लिए काफी काम किए जाने अब भी जरूरत है.
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों को एक समग्र शैक्षणिक प्रणाली में प्रधान भूमिका निभानी होगी. उन्होंने कहा कि सतत विकास के लिए एक अच्छी शिक्षा प्रणाली आधारशिला है जो समाज में शांति और सौहार्द में तब्दील होती है. शिक्षित मस्तिष्क के पास सूचना का विश्लेषण करने और गलत से सही की ओर जाने की क्षमता होती है. मुखर्जी ने कहा कि शिक्षा एक सही माध्यम है जो भारत को अगले स्वर्णकाल में ले जा सकती है.
उन्होंने यहां राष्ट्रपति भवन में साल 2016 के लिए 15 शिक्षकों को मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार देने के बाद कहा सक्षम और प्रेरित शिक्षकों का एक समूह अपनी सामूहिक कोशिशों से मजबूत मस्तिष्क वाले और जांबाज लोगों का एक समाज बना सकता है. उन्होंने कहा कि स्कूलों के पास अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों, इंजीनियर, डॉक्टर, नीति निर्माताओं, विद्धानों और नौकरशाहों की नई पीढ़ी की आधारशिला रखने की जिम्मेदारी है.
मुखर्जी ने कहा कि एक अच्छी स्कूल प्रणाली तभी संभव है जब अच्छी गुणवत्ता वाले शिक्षक पेशे के प्रति समर्पित हों. शिक्षकों को सुनिश्चित करना होगा कि शैक्षणिक प्रक्रिया अब कक्षा आधारित शिक्षा तक सीमित नहीं बनी रहें.