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सही आहार-विहार, स्वस्थ जीवन का आधार

– गैर संचारी रोगों के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करना जरूरी
– 40 साल की उम्र के बाद होने वाली बीमारियां अब 30 में ही रहीं घेर

विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) पर विशेष

वेजिटेवल चाइल्ड बनायें न कि बर्गर चाइल्ड : डॉ. सूर्य कान्त
किंग जार्च चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य कान्त का कहना है कि कोरोना ने रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) की अहमियत को साबित कर दिया है । इसलिए बच्चों की इम्युनिटी पर खास ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वही देश के भविष्य हैं। बच्चों के खाने में हरी साग-सब्जियों और मौसमी फलों को अवश्य शामिल करें ताकि वह शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ बन सकें । फास्ड फ़ूड-बर्गर-पिज्जा से सिर्फ स्वाद मिलता है न कि रोगों से लड़ने की क्षमता। इसलिए उनको वेजिटेवल चाइल्ड बनाएं न कि बर्गर चाइल्ड। इसके साथ ही मास्क से मुंह व नाक को ढककर ही बाहर निकलें, इससे कोरोना से ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे।

लखनऊ। आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी और बदलती जीवन शैली ने सबसे अधिक युवा पीढ़ी को प्रभावित किया है। जीवन में जल्दी से जल्दी बहुत कुछ हासिल कर लेने की चाह ने जहां के सुकून को छीन लिया है, वही उनके पास न तो सही से खाने का वक्त होता है और न ही सोने का। फ़ास्ट फ़ूड और दिखावे के लिए शराब और सिगरेट का सहारा लेने वाले युवाओं में हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर और हाइपरटेंशन जैसे गैर संचारी रोग अब 30 साल की उम्र में ही शरीर पर कब्ज़ा जमाने लगे हैं, जबकि यह बीमारियां पहले 40 साल की उम्र के बाद की मानी जाती थीं ।
इन्हीं परिस्थितियों से लोगों को उबारने के लिए ही हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्थापना दिवस पर 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद लोगों को स्वस्थ जीवन प्रदान करने के लिए जरूरी परामर्श के साथ जागरूक भी करना है। हर साल अलग-अलग थीम पर मनाये जाने वाले दिवस की इस बार की थीम है- बिल्डिंग अफेयरर, हेल्दियर वर्ल्ड (एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण)।  
सरकार हर किसी को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल, किशोर-किशोरी स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर पूरे प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर रही है । आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों और गर्भवती के सही पोषण की व्यवस्था कर रही है । हर क्षेत्र में आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति की गयी है जो  स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी भी मुश्किल में साथ खड़ी नजर आती हैं । हर रविवार को स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेला का आयोजन हो रहा है ताकि लोग छुट्टी के दिन को सेहत दिवस के रूप में मना सकें।

कोरोना काल की अच्छी आदतों को अपनाए रखें
कोविड-19 का संक्रमण पिछले माह से एक बार फिर रफ़्तार पकड़ रहा है, ऐसे में पिछले एक साल में कोरोना से बचने के लिए अपनायीं गयीं अच्छी आदतों को छोड़ने की भूल कदापि न करें । जब भी घर से बाहर निकलें, मास्क लगाकर निकलें, दूसरे लोगों से हमेशा दो गज की दूरी बनाकर रखें, किसी चीज़ को छूने के बाद अपने हाथों को सेनेटाइज करते रहें और हवादार जगहों पर ही जाएं। आइए, इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर यह संकल्प लें कि इस महामारी को अपने सम्मिलित प्रयासों से फिर से क़ाबू में लाएंगे। हमारे स्वजन जो इस महामारी की चपेट में हैं, उनसे नियमित रूप से फ़ोन या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सम्पर्क बनाए रखिए। ऐसा करना उनके मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
– डॉ. हरीश गुप्ता, एसोसिएट प्रोफ़ेसर, मेडिसिन डिपार्टमेंट- केजीएमयू

आम आदमी की पहुंच में है मेंहोम्योपैथी पद्धति :
विश्व स्वास्थ्य दिवस का संकल्प दुनिया के सभी देशों के नागरिकों को स्वस्थ रखने के लिए नीतियां निर्धारित कर लागू कराना है परन्तु अभी तक सभी को स्वास्थ्य का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पाया है। बीमारियां लगातार बढ़ती जा रहीं हैं, इसलिए यदि सभी को स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध करानी है और सार्वभौमिक स्वास्थ्य आच्छादन के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो होम्योपैथी जैसी कम ख़र्चीली, सरल, दुष्परिणाम रहित, आम आदमी की पहुंच वाली पद्धति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
डॉ. अनुरूद्व वर्मा, पूर्व सदस्य, केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद

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