मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है
सजायाप्ता बंदी सुरेश राम को मिला गोल्ड मेडल, इग्नू की डीटीएस परीक्षा में किया टाप
वाराणसी। इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू ) के क्षेत्रीय केन्द्र वाराणसी कार्यालय परिसर में शनिवार की शाम सुखद नजारा रहा। आयोजित समारोह में इग्नू के डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज (डीटीएस) में स्वर्ण पदक पाने वाले सजा याप्ता बंदी सुरेश राम को बीएचयू कुलपति प्रो.जी.सी.त्रिपाठी, कुलसचिव डाॅ0 नीरज त्रिपाठी ने अपने हाथों से मेडल प्रदान किया। मेडल प्राप्त करते ही सुरेश की आंखे खुशी से छलछला गयी। कुलपति ने इस दौरान सुरेश का पीठ थपथपा हौसला भी बढ़ाया। कार्यक्रम में ही केंद्र से एमए इतिहास में टाप करने वाली छात्रा दीप्ति कुमारी को भी कुलपति ने स्वर्ण पदक प्रदान किया। इसके पूर्व कमच्छा स्थित शिक्षा संकाय में संचालित इग्नू कार्यालय परिसर में अतिथियों का स्वागत केन्द्र के निदेशक डाॅ0 ए0एन0 त्रिपाठी ने किया। इस मौके को यादगार बनाने के लिए अतिथियों ने पौध रोपण भी किया।
6 घंटे नियमित अध्ययन करते हैं सुरेश
केन्द्रीय कारागार शिवपुर में बंद 30 वर्षीय सुरेश 6 घंटे नियमित अध्ययन करते हैं। कहॉ कि पढ़ाई से दिमागी संतुलन बना रहता है। बताया कि एलएलबी भी करना चाहते है। ‘मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है ” के कहावत को जीने वाले सजा याप्ता कैदी सुरेश राम पुत्र मनीराम ने कठिन हालात में डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज (डीटीएस) में स्वर्ण पदक पाकर साबित कर दिया हैं कि इंसान भले ही परिस्थिति बस अपराधी बन गया हो। लेकिन हौसला और लगन से इसके बावजूद वह बहुत कुछ कर सकता है। मूल रूप से गाजीपुर सैदपुर के सुरेश राम गांव में जमीनी विवाद के चलते पट्टीदार के हत्या मामले में फंसे तो लगा कि जीवन समाप्त हो गया लेकिन फिर अपनी इच्छाशक्ति को मजबुत बना लिया। जिस समय सुरेश अपराध के भंवर में फंसे बीए कर चुके थे। जेल में आने के बाद लगातार अध्ययन में मिल रही कामयाबी से उनके प्रति साथी बंदियो का भाव भी बदला। सुरेश की सफलता के जश्न में साथी भी जेल में खुशियां मनाते रहे। स्वामी अड़गड़ानंद नगर कालोनी, बच्छांव निवासी तेज नारायण राय व चंद्रकांति देवी की पुत्री और एमए इतिहास में टाप करने वाली छात्रा दीप्ति कुमारी ने बताया कि उनका इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिव्यू आफिसर के पद पर चयन हो गया है। सिविल सर्विसेज में जाने का इरादा रखती है। बतादे, इग्नू के इतिहास में यह पहला मौका है, जब लगातार दूसरे साल शिवपुर सेन्ट्रल जेल के सजायाप्ता कैदी सुरेश को गोल्ड मेडल मिला। इससे पहले इसी जेल के कैदी रहे जौनपुर के अजीत को गोल्ड मेडल मिला था।