नई दिल्ली : मंगला मणि ने अंटार्कटिका जैसे ठंडे प्रदेश में एक साल से अधिक वक्त बिताकर विश्व रिकार्ड बनाया है। ऐसा करने वाली वह भारत की पहली महिला बन गयी हैं। तो आइए मंगला मणि के समक्ष आई चुनौतियों की चर्चा करते हैं। 56 वर्षीय मंगला मणि इसरो की 23 सदस्यीय टीम की सदस्य थीं। यह टीम अंटार्कटिका के रिसर्च स्टेशन भारती पर काम करने गयी था। मंगला मणि यहां सेटेलाइट के डेटा एकत्रित करने के लिए गयी थीं। उन्होंने यहां 403 दिन व्यतीत किए। मंगला मणि ने कभी बर्फबारी नहीं देखी थी। ऐसे में अंटार्कटिका मिशन उनके लिए चुनौती भरा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और चुनौती का डटकर मुकाबला किया। वह कहती हैं कि पुरुष भले ही शारीरिक रूप से मजबूत हों लेकिन महिलाएं पुरुषों की तुलना में भावनात्मक स्तर पर अधिक सुदृढ़ होती हैं।
मंगला मणि अपनी टीम में अकेली महिला सदस्य थीं। मंगला मणि अंटार्कटिका के बारे में अपने अनुभव बताती हुई कहती हैं कि वहां बहुत ठंड थी। ठंड की अधिकता के कारण बाहर 2-3 घंटे ही रहा जा सकता है। दो से तीन घंटे बाद खुद को गर्म रखने के लिए उन्हें रिसर्च स्टेशन वापस आना पड़ता था। अंटार्कटिका में चीन और रूस की भी टीम काम कर रही थी लेकिन उनकी टीम में भी कोई महिला सदस्य नहीं थी। इस मुश्किल अंटार्कटिक मिशन पर जाने से पहले टीम के सभी सदस्यों को कठिन परीक्षणों से गुजरना पड़ा था। यह परीक्षण न केवल शारीरिक तौर पर लिए गए बल्कि इसके द्वारा मानसिक शक्ति को भी जांचा गया। दिल्ली के एम्स में उनका कठिन शारीरिक परीक्षण हुआ। साथ ही टेस्ट के लिए उत्तराखंड के औली और बद्रीनाथ भेजा गया। इन स्थानों पर भेजकर यह देखा गया कि मौसम के बदलाव को सहन करने के लिए टीम के सदस्यों का शरीर और दिमाग तैयार है कि नहीं। औली और बद्रीनाथ में 9000 से 10000 फीट की ऊंचाई पर टीम के सदस्यों को भारी सामान के साथ ट्रैकिंग करायी गयी जिससे अंटार्कटिका के माहौल में सहज महसूस करें। साथ ही सदस्यों के बीच टीम भावना के साथ काम करने की कला भी सिखायी गयी।