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अखिलेश ने सहयोगी दलों को भेजा गठबंधन का प्रस्ताव, फैसला 14 को

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ से सहयोगी दलों को गठबंधन का प्रस्ताव भेजना शुरू कर दिया है। अखिलेश चाहते हैं कि फेमलियर पार्टियां एक जुट होकर भाजपा और बसपा को सत्ता से दूर करें। अखिलेश ने यह प्रस्ताव मंगलवार से भेजना शुरू किया है और शनिवार तक गठबंधन के नतीजे सामने आ जाने के पूरे संकेत है। इस गठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, जद (यू) शामिल होगा।
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कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और जद (यू) के सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है। कांग्रेस ने गठबंधन में 100 से अधिक सीटों को मिलने का भरोसा कर लिया है। बताते हैं पार्टी के उपाध्यक्ष को संदेश दिया गया है कि उनका और कांग्रेस पार्टी का पूरा सम्मान किया जाएगा। राष्ट्रीय लोकदल की तरफ से चौधरी अजीत सिंह की सलाह पर जयंत चौधरी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। अखिलेश और राहुल गांधी के इस प्रयास को बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का पूरा समर्थन है।

48 घंटों में निबटे सीटों का बंटवारा

जद (यू) के केसी त्यागी भी मान रहे हैं कि धर्मनिरपेक्ष दलों को साथ मिलकर लड़ना चाहिए। गठबंधन होना चाहिए और उनकी पार्टी को कोई एतराज नहीं है। खबर है कि पूरे गुणा-गणित के साथ सभी फेमलियर पार्टियों (समाजवादी-अखिलेश, कांग्रेस, रालोद, जद(यू)) ने अपना होमवर्क किया है। 

सभी का मानना है कि देर हो चुकी है। इसलिए देर न हो। सभी को 13 जनवरी को चुनाव आयोग से आने वाले फैसले का इंतजार है। इस फैसले के 48 घंटे के भीतर ही सीटों के बंटवारे से लेकर अन्य को पूरा करके चुनाव प्रचार अभियान की रणनीति को पूरा कर लेना है। सूत्रों का कहना है कि मकर संक्रांति के बाद गठबंधन के सहयोगी दल प्रत्याशियों की सूची को जारी करने का काम शुरू कर देंगे।

मुलायम का क्या होगा?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार यूपी में चुनावी बिगुल बजाने आएंगे। चुनाव प्रचार अभियान की साझा रणनीति पर भी विचार किया जा रहा है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी कांग्रेस की तरफ से, अखिलेश, राम गोपाल समेत अन्य समाजवादी अखिलेश की तरफ से वहीं चौधरी अजीत सिंह, जयंत चौधरी राष्ट्रीय लोकदल की तरफ से प्रचार की कमान संभालेंगे। फिलहाल सभी दलों का मुख्य ध्यान सम्मान जनक सीटें पाने का है। 
यह सीटें समाजवादी-अखिलेश की पार्टी के तैयार होने पर निर्भर करेंगी। जद(यू) का कहना है कि बनारस, मिर्जापुर, इलाहाबाद, गोरखपुर, लखनऊ, कानपुर मंडल में उसने मतदाताओं को जोड़ने का अभियान चलाया है। कुर्मी बहुल क्षेत्र में प्रचार किया है। इसी तरह की दलीलें राष्ट्रीय लोकदल की भी है।

मुलायम का क्या होगा

एक ही जनाधार के दो सेंटर एक साथ नहीं चलते। इसी आधार पर चुनाव रणनीतिकारों का मानना मुलायम सिंह यादव का गुट अप्रासंगिक हो जाएगा, क्योंकि यूपी की जनता अखिलेश के साथ है। ऐसे में मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है। अखिलेश के सहयोगी एक वरिष्ठ नेता का अनुमान है कि नया दल बनते ही समाजवादी पार्टी के अभी तक पत्ता न खोलने वाले लगभग सभी बड़े नेता, धड़े अखिलेश के साथ आ जाएंगे। यह इशारा आजम खां समेत तमाम नेताओं की तरफ है।

घबड़ाइए नहीं, यूपी में दिखेगा पीके का असर

कांग्रेस के चुनाव प्रचार के प्रमुख रणनीतिकार कहां है? इस सवाल पर एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का कहना है कि घबड़ाइए नहीं, जल्द ही यूपी में फिर प्रशांत किशोर(पीके) का असर दिखेगा। खबर इसी तरह की है। प्रशांत किशोर लगातार सक्रिय हैं। वह उत्तराखंड, पंजाब के साथ-साथ आगे की रणनीति पर भी सलाहकार की भूमिका में हैं। वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संपर्क में हैं।
सूत्र बताते हैं कास्ट, इक्वेशन और ग्राऊंड रिपोर्ट के आधार पर प्रशांत किशोर यूपी को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष को लगातार अवगत करा रहे हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव को भी मुलाकात के दौरान उन्होंने अपने हिसाब से समीकरण समझाए थे। 

जद(यू) के केसी त्यागी प्रशांत किशोर पर काफी भरोसा करते हैं। केसी त्यागी का कहना है कि पंजाब में प्रशांत किशोर के सुझावों के साथ कांग्रेस कैप्टन के नेतृत्व में जोरदार वापसी करती नजर आ रही है।

कांग्रेस में कोई पीके को लेकर खुलकर नहीं बोल रहा है। नेताओं का अपना व्यक्तित्व भी इसमें आड़े आ रहा है, लेकिन गठबंधन की सहयोगी पार्टियों को पीके सुझाव मानकर आगे बढ़ने में कोई परहेज नहीं है।

 
 

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