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लखनऊ। सूबे की अखिलेश सरकार में अराजक तत्वों के हौसले बढ़े हैं। प्रदेश में साम्प्रदायिक विद्वेष की घटनाऐं बढ़ रही हैं और सरकार इन पर रोक लगा पाने में पूरी तौर पर नाकाम साबित हो रही है। यह बातें पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने मंगलवार को कही। उन्होंने कहा कि राज्य में छेड़छाड़ और हत्या के कई मामलो के कारण भी साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है। वैसे छोटी-छोटी घटनाओं पर त्वरित प्रभावी कार्यवाही न होने के कारण बड़े विवाद उत्पन्न हो रहे है। लखनऊ में मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप और उन पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हुए विवाद में जान तक चली गयी। सरकारी सम्पत्ति को नुकसान हुआ। जनता हलकान रही अराजकता का माहौल बना। सहारनपुर में हुए संघर्ष में जिस तरह से जन धन की हानी हुई वह जगजाहिर है। अराजक तत्व सम्पत्तियों को योजनापूर्वक नुकसान पहुंचाते रहे। दंगों के मुख्य आरोपी की तस्वीरे मुख्यमंत्री के साथ दिखाई देती है। आखिर लगातार जो लोग प्रदेश का अमन चौन बिगाड़ने में लगे है, उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही में हिचक क्यों? बार-बार सरकार दावे करती है कि जो दोषी होगा, बख्शा नही जायेगा। फिर लगातार साम्प्रदायिक घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी को रोक पाने में क्यों नाकाम हो रही है? अखिलेश सरकार क्यों कुछ लोगों को लगता है कि वे जो चाहे कर सकते है। उन्होंने कहा कि आज एक समाचार पत्र में जिस तरह से रिपोर्ट छपी है उसने तो कल ही सरकार के मंत्री शिवपाल यादव के कथन पर सवाल खड़े कर दिए है। काबीना मंत्री शिवपाल यादव ने कहा था कि साम्प्रदायिक उन्माद की घटनाओं के आंकड़े गलत पेश किए जा रहे है। पाठक ने कहा कि सरकार ही बता दे की सही आंकड़े क्या है? क्योंकि जब आर.टी.आई. में सूचना मांगी जाती है तो यह कहा जा रहा है कि सूचना देना उपर्युक्त नही है। मीडिया रिपोर्ट में जो तथ्य प्रकाश में आये है उनमें कहा जा रहा है कि ५० छेड़छाड़ के मामलों के कारण साम्प्रदायिक तनाव की स्थितियां उत्पन्न हुई। ६१ गोहत्या के मामलों के कारण साम्प्रदायिक उन्माद बढ़ा। ७० मामले ऐसे है जिसमें जमीन विवाद के कारण स्थितियां खराब हुई। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि विदेशी मीडिया में उत्तर प्रदेश की बदनामी की बात सपा प्रवक्ता स्वयं स्वीकार कर रहे। आखिर यह बदनामी न हो सरकार इसके उपाय तो करें।