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अब कंप्यूटर प्रोग्रामर्स को नहीं मिलेगा H-1B वीजा, सख्त हुए नियम; ये 5 अहम बदलाव

वॉशिंगटन. डोनाल्ड ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन से साफ किया है कि एच-1बी वीजा फ्रॉड और गलत इस्तेमाल से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। हाल ही में जारी पॉलि‍सी मेमोरेंडम में कहा गया है कि कंप्‍यूटर प्रोग्रामर्स H-1B वीजा के लिए एलिजिबल नहीं होंगे। यूएससीआईएस ने 31 मार्च को ‘रीसेशन ऑफ द दि‍संबर 22, 2000, गाइडलाइन मेमो ऑन H-1B कंप्‍यूटर रीलेटेड पोजि‍शन’ नाम से पॉलि‍सी मेमोरेंडम जारी कि‍या था। बता दें कि भारतीय आईटी कंपनियां आईटी प्रोफेशनल्स को अमेरिका भेजने में इस वीजा का जमकर इस्तेमाल करती हैं। वीजा देने की प्रोसेस शुरू होते ही अमेरिका ने किया एलान…
अब कंप्यूटर प्रोग्रामर्स को नहीं मिलेगा H-1B वीजा, सख्त हुए नियम; ये 5 अहम बदलाव
 
– न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक, एच-1बी वीजा देने में सख्ती बरतने का एलान यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विस (USCIS) ने किया।
– ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन का ये एलान उस वक्त सामने आया है जब एच-1बी वीजा देने के लिए एप्लिकेशन एक्सेप्ट की जा रही हैं। 1 अक्टूबर, 2017 से अमेरिकी फिस्कल ईयर की शुरुआत होती है।
– ये भी कहा गया है कि अगर कोई कंपनी एच-1बी वीजा प्रोग्राम का मिसयूज करती है तो इसका असर अमेरिकी वर्कर्स पर तो पड़ेगा ही, साथ ही सैलरी में कमी आएगी और फॉरेन इम्प्लॉइज को लाने के मौके कम होंगे।
– USCIS जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को एच-1बी वीजा जारी करता है।
– अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए यानी 103% ज्यादा। ये स्टूडेंट्स यूएस के किसी संस्थान में पढ़े हुए होने चाहिए। इनके सब्जेक्ट साइंस, इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और मैथ्स होने चाहिए।
– बता दें कि पिछले महीने यूएस कोर्ट ने 2 भारतीयों को एच-1बी वीजा धोखाधड़ी का आरोपी पाया था। अगर दोनों पर दोष साबित हुआ तो उन्हें 20 साल जेल या 1.6 करोड़ रुपए जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है।
 
USCIS के स्टेटमेंट में 5 बदलावों पर जोर
1#”हमारा मकसद एच-1बी वीजा के गलत इस्तेमाल को रोकना है। इससे अमेरिकी कंपनियों को हाईली स्किल्ड विदेशियों को अप्वॉइंट करना मददगार साबित होगा। फिलहाल यूएस में क्वालिफाइड वर्कर्स की कमी है।”
2# “मौजूदा स्थिति में क्वालिफाइड अमेरिकन वर्कर्स को नौकरियों में या तो इग्नोर किया जाता है या फिर उन्हें फायदा नहीं मिल पाता। हम इम्प्लॉमेंट बेस्ड इमिग्रेशन प्रोग्राम को सख्त बनाकर अमेरिकी हितों को सुरक्षित करना चाहते हैं।”
3# USCIS ने एच-1बी वीजा फ्रॉड का पता लगाने के लिए एक ईमेल हेल्पलाइन भी लॉन्च की है। अब USCIS पूरे देश के एच-1बी वीजा पिटीशनर्स (वीजा चाहने वाले) और वीजाहोल्डर्स पर नजर रखेगा।
4# USCIS इस बात पर भी नजर रखेगा कि इम्प्लॉयर की बेसिक बिजनेस इन्फॉर्मेशन अपडेट हुई है कि नहीं।
5#इम्प्लॉयर्स को उन H-1B वीजा वर्कर्स के बारे में भी बताना होगा जो किसी दूसरी कंपनी में ऑफसाइट काम करते हैं।
 
क्या है H-1B वीजा?
– H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है।
– इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं।
– H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं।
 
सबसे ज्यादा वीजा इन्फोसिस को
– 2016 में सबसे ज्यादा वीजा इन्फोसिस को (33,289) मिला।
– टीसीएस को 16,553, आईबीएम को 13,600, विप्रो को 12,201, असेंचर को 9,605 और डेलॉयट कंसल्टिंग को 7,607 वीजा मिले।
– अमेरिकी गृह मंत्रालय के मुताबिक 2014 में 70% वीजा भारतीयों को ही मिले। 2016 में यह आंकड़ा 72% हो गया।
 
ये भी जानिए
– अमेरिका में नौकरी करने के लिए इस वीजा का पीरियड 3 साल है। हालांकि इसे बढ़ाकर 6 साल कर सकते हैं।
– इस वीजा के लिए व्यक्ति खुद अप्लाई नहीं कर सकता। कंपनी के जरिए ही अप्लाई करना होता है।
 
हर साल क्रॉस हो रही लिमिट
– इसके हफ्ते भर के भीतर ही करीब 3 लाख एप्लीकेशन आ जाती हैं।
– इसके बाद कंप्यूटर से रैंडम सिलेक्शन किया जाता है। इसे लॉटरी सिस्टम कहते हैं। इससे ही कैंडिडेट का चुनाव किया जाता है।
वीजा फीस पहले ही बढ़ा चुका है अमेरिका
– अमेरिका जनवरी 2016 में एच-1बी और एल-1 वीजा कॉस्‍ट बढ़ा चुका है। एच-1बी के लिए यह कॉस्‍ट 2000 डॉलर से बढ़ाकर 6000 डॉलर और एल-1 के लिए 4500 डॉलर की जा चुकी है।
– यह नियम उन कंपनियों के लिए हैं, जिनके यूएस में 50 या इससे ज्‍यादा इम्‍प्‍लॉई हैं और इनमें से 50 फीसदी से ज्‍यादा एच-बी या एल-1 वीजा पर जॉब कर रहे हैं।
 

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