अजब-गजब

अब यहां होगी ‘मौत की पढ़ाई’, सिलेबस में शामिल हो सकता है यह सब्जेक्ट

आने वाले दिनों में स्कूलों में मैथ्स, सोशल साइंस, साइंस, हिंदी के साथ साथ मौत भी एक सब्जेक्ट रूप में शामिल हो सकता है. ऑस्ट्रेलिया से इसकी शुरुआत हो सकती है.
या के क्वीन्सलैंड मेडिकल एसोसिएशन ने जो प्रस्ताव पेश किया है, उसके लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया में बच्चे अन्य विषयों के साथ-साथ मौत की पढ़ाई भी करेंगे.
डॉक्टरों की टीम ने इस प्रस्ताव पर हामी भी भर दी है.
आपको बता दें कि मौत हमेशा से रिसर्च के लिए एक टैबू विषय रहा है. खासकर जूनियर लेवल पर इसकी पढ़ाई शायद ही कहीं होती है.
वहीं ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टरों का मानना है युवा ज़िंदगी के अंत यानी मौत के बारे में जाने और खुलकर इस पर बात करें. इसके बाद ही इस टैबू का अंत हो सकता है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टरों का मानना है कि बेहतर होती चिकित्सा व्यवस्था और लोगों की बढ़ती उम्र ने परिवारों के सामने मुश्किल सवाल खड़े किए हैं. युवा इस तरह के मुश्किल फैसलों को लेकर बात नहीं कर पाते, क्योंकि इसे लेकर पश्च‍िमी सभ्यता वाले देशों में एक तरह का टैबू है. इसकी वजह से कई करीबी लोगों की मौत आपकी आंखों से दूर अस्पतालों में हो जाती हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि यही वजह है कि बच्चों को स्कूलों में ही मौत से जुड़ी श‍िक्षा देने की योजना बनाई गई है.
डॉक्टरों का मानना है कि मौत से जुड़ी ज़रूरी कानूनों और नैतिक कर्तव्यों के अलावा इच्छा मृत्यु के बारे में बताया जाएगा तो बच्चें के लिए इन सब चीजों से जुड़े फैसले तकलीफ भरे नहीं होंगे.
योजना के अनुसार मौत के विषय को पहले से मौजूद मौजूद विषयों बॉयोलॉजी, मेडिसिन, लॉ एंड एथिक्स के हिस्से के तौर पर पढ़ाए जा सकता है.
आपको बता दें कि मेक्सिको और आयरलैंड में मृत्यु संस्कृति का अहम हिस्सा है. यहां तक की वहां के लोग मौत का जश्न भी मनाते हैं. इसके लिए मेक्सिको में डेथ फेस्टिवल मनाया जाता है.

डॉक्टरों का कहना है कि मौत पर श‍िक्षा शुरू होने के बाद पश्च‍िमी देशों में भी मौत को लेकर भ्रम आद‍ि दूर होंगे. साथ ही ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका और ब्रिटेन में भी मौत को लेकर लोग सहज रूप से बात कर सकेंगे.
आपको बता दें कि डॉक्टरों का यह भी कहना था कि ज्यादातर लोग अपने घर में आख‍िरी सांस लेना चाहते हैं, हालांकि बच्चों पर बुरे असर को देखते हुए ये नहीं कर पाते हैं. मौत की श‍िक्षा मिलने पर लोग आख‍िरी पल अपनों के बीच बिता सकेंगे.

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