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अयोध्याः 26 साल बाद राहुल ने पूरी की राजीव की अधूरी इच्छा

rahul-gandhi3नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में किसान यात्रा पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज राम की नगरी अयोध्या में हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज अयोध्या पहुंचे हैं। 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से ऐसा पहली बार है जब गांधी परिवार से कोई इस नगरी में पहुंचा है। राजीव गांधी 26 साल पहले अयोध्या के दौरे पर आए थे। अयोध्या में राहुल गांधी ने हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्श किए।

एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि गांधी परिवार के यह हमेशा सर्वधर्म सद्भाव में विश्वास रहा है। राहुल अयोध्या गए हैं, निजामुद्दीन भी जा सकते हैं। यही देश की संस्कृति में है और कांग्रेस इसी का प्रतिनिधित्व करती आई है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी महत्वकांक्षी किसान यात्रा और खाट सभा से पहले प्रसिद्ध दुग्धेश्वर नाथ मंदिर में पूजा अर्चना की थी और अब किसान यात्रा के चौथे दिन राहुल गांधी अयोध्या में हैं। अयोध्या को हिंदुत्व एजेंडे वाली राजनीति का गढ़ कहा जा सकता है और यहां भी राहुल गांधी अपनी यात्रा की शुरुआत हनुमानगढ़ी मंदिर से की है।

वैसे अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर में पूजा-अर्चना कर राहुल गांधी अपने पिता राजीव गांधी की 26 साल पुरानी अधूरी इच्छा को भी पूरा किया। दरअसल, राजीव गांधी 1990 में अयोध्या गए थे लेकिन व्यस्ततता के चलते हनुमानगढ़ी के दर्शन नहीं कर पाए थे। उसके अगले ही साल यानी 1991 में उनकी हत्या हो गई हालांकि 1992 में सोनिया गांधी ने हनुमानगढ़ी जाकर पूजा अर्चना की थी।

आपको बता दें अयोध्या ही वो जगह है जहां से राम मंदिर को मुद्दा बनाकर बीजेपी ने सफलता की कई सीढ़ियां चढ़ीं। बीते कुछ सालों से कांग्रेस की छवि धर्मनिरपेक्ष पार्टी के बजाय हिंदू विरोधी पार्टी के तौर पर बनने लगी थी। यूपी की सत्ता से 27 साल से दूर कांग्रेस अब अपनी इस छवि को तोड़ना चाहती है क्योंकि उसे पता है कि यूपी की गद्दी हिंदू वोटों को दरकिनार करके नहीं मिल सकती है।

कांग्रेस के रुख में आए इस बदलाव के पीछे चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दिमाग बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर की सलाह पर ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण केंद्रित चुनाव अभियान चला रही है और इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने शीला दीक्षित को यूपी में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी बनाया है। साथ ही कांग्रेस की कोशिश ये भी है कि वो किसी तरह बीजेपी के मजबूत होते वोटबैंक को कमजोर करें।

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