अद्धयात्म

आखिर क्यों नवरात्रों के दूसरे दिन इस मां के रूप की करनी चाहिए पूजा…

img_20161001040909नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रम्ह्चारिणी रूप की पूजा होती है। इस रूप में देवी को समस्त विद्याओं का ज्ञाता माना गया है। देवी ब्रम्ह्चारिणी भवानी माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप है। ब्रम्ह्चारिणी ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली है।

 देवी के ब्रम्ह्चारिणी रूप में ब्रम्हा जी की शक्ति समाई हुई है। माना जाता है कि सृष्टी कि उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी ने मनुष्यों को जन्म दिया। समय बीतता रहा, लेकिन सृष्टी का विस्तार नहीं हो सका। ब्रम्हा जी भी अचम्भे में पड़ गए। देवताओं के सभी प्रयास व्यर्थ होने लगे। सारे देवता निराश हो उठें तब ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। भोले शंकर बोले कि बिना देवी शक्ति के सृष्टी का विस्तार संभव नहीं है। सृष्टी का विस्तार हो सके इसके लिए माँ जगदम्बा का आशीर्वाद लेना होगा ,उन्हें प्रसन्न करना होगा। देवता माँ भवानी के शरण में गए। तब देवी ने सृष्टी का विस्तार किया। उसके बाद से ही नारी शक्ति को माँ का स्थान मिला और गर्भ धारण करके शिशु जन्म कि नीव पड़ी। 
 माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
देवी ब्रह्मचारिणी जी की पूजा का विधान इस प्रकार है..
 नवरात्रों से पहले आपने जिन देवी-देवताओ एवं गणों को कलश में आमत्रित किया है उनकी फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को जो कुछ भी प्रसाद अर्पित कर रहे हैं उसमें से एक अंश इन्हें भी अर्पण करें। देवी मां की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें।इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर बारी-बारी से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को लाल रंग का एक विशेष फूल व कमल काफी पसंद है उनकी माला पहनायें। प्रसाद के बाद पान सुपारी भेंट कर उनको नमस्कार करें और घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें और मां का आर्शीवाद लें औऱ अपने पूरे परिवार को दें।
 

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