राजनीति

आजम खां की हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश जल निगम के आजम खां के खिलाफ खिलाफ एक मार्च को जमानती वारंट जारी किया था। इसके खिलाफ आजम ने आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खां एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण में हैं। आजम खां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के एक निर्णय के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश जल निगम के एक मामले मेंकैबिनेट मंत्री व जलनिगम के चेयरमैन आजम खां के खिलाफ खिलाफ एक मार्च को जमानती वारंट जारी किया था। इसके खिलाफ आजम ने आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
आजम ने याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के मंत्री की याचिका पर आज सुनवाई के लिए राजी हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जस्टिस सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष एक मार्च को निवर्तमान एमडी पीके आसुदानी (28 फरवरी 2017 को रिटायर हो गए) और चीफ इंजीनियर आरपी सिन्हा तो उपस्थित हुए, लेकिन चेयरमैन आजम खां नहीं आए। उनकी ओर से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई, लेकिन इसे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया कि इसमें गैर-हाजिरी की कोई वजह नहीं दी गई है। साथ ही अगली तारीख छह मार्च तय करते हुए इस दिन उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जमानती वारंट जारी किया। 
गौरतलब है कि यूपी जल निगम की ही वर्ष 2013 की याचिका का है, जिसमें निगम ने उप्र राज्य लोकसेवा अभिकरण के एक निर्णय को चुनौती दी थी। जल निगम ने अपने तत्कालीन सहायक अभियंता धीरेंद्र कुमार सिंह को वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच करने के बाद सेंसर एंट्री दी थी। सिंह ने इसके खिलाफ अभिकरण में शिकायत की। उनका कहना था उन्हें अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। साथ ही जो आरोप उन पर लगाए गए, उसकी चार्जशीट पर जांच करने वाले अधिकारी के दस्तख्त थे। इसके विपरीत जो मूल चार्जशीट है, उसमें चार्जशीट जारी करने वाले अधिकारी ने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने दस्तावेजों की जालसाजी का गंभीर आरोप भी लगाया है। अभिकरण ने उनकी शिकायत स्वीकार कर ली।

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