नई दिल्ली: भारत और अफगानिस्तान ने दक्षिण एशिया को आतंकवाद से मुक्त कराने के संकल्प के साथ के आज प्रत्यर्पण संधि और एक दूसरे के अपराधियों पर मुकदमे चलाने के लिए विधिक सहयोग सहित तीन समझौतों पर आज हस्ताक्षर किए। भारत और अफगानिस्तान ने अपने रणनीतिक संबंधों को आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष पर केन्द्रित करने के साथ ही अफगानिस्तान में विकास की प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय लिया और भारत ने इसके लिए एक अरब रुपए की सहायता का भी ऐलान किया। भारत यात्रा पर आए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति डा. मोहम्मद अशरफ गनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच आज यहां हुई द्विपक्षीय बैठक में दोनों नेताओं ने भारत-अफगानिस्तान के रणनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बन चुके आतंकवाद का वे एकजुट होकर मुकाबला करेंगे। मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत एक मजबूत, संगठित, लोकतांत्रिक, संप्रभुता संपन्न और समृद्ध अफगानिस्तान देखना चाहता है और इसके लिए अपनी ओर से हर संभव मदद जारी रखेगा।
तीन समझौतों पर हुए हस्ताक्षर
बैठक के बाद विदेश सचिव एस जयशंकर ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों देशों ने क्षेत्रीय परिस्थितियों का जायजा लिया और आतंकवाद के बदलते स्वरूप तथा नशीले पदार्थों की तस्करी में अचानक वृद्धि होने के बारे में गंभीरता से चर्चा की। डॉ. जयशंकर ने कहा कि बातचीत पर इस बात पर मुख्य जोर था कि आतंकवाद का बदलता स्वरूप दोनों देशों के लिए गंभीर क्षेत्रीय चुनौती बन रहा है। दोनों देशों के बीच तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। प्रत्यर्पण संधि, सिविल एवं वाणिज्यिक मसलों में विधिक सहयोग समझौता और अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण इस्तेमाल संबंधी समझौता शामिल है। यह पूछे जाने पर कि क्या बलूचिस्तान की स्थिति पर भी दोनों नेताओं की बात हुई, विदेश सचिव ने कहा कि यह विषय ‘क्षेत्रीय परिस्थितियों’ के दायरे में आता है। उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने भारत-अफगानिस्तान-ईरान और भारत-अमेरिका-अफगानिस्तान की त्रिपक्षीय व्यवस्थाओं के बारे में भी बातचीत हुई। दोनों देशों के बीच अतिरिक्त रक्षा सहयोग के बारे में सहमति बनी लेकिन विदेश सचिव ने इतना ही कहा कि यह सहमति क्षमता एवं सामथ्र्य में वृद्धि को लेकर है। उन्होंने इशारा किया कि पिछले माह अफगान सेना प्रमुख की भारत यात्रा में इस बारे में बातचीत हुई है।