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आतंकियों की बढ़ती हताशा का परिणाम है अमरनाथ यात्रा पर हमला?

जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर बुरी नजर रखने वाले आतंकी पिछले 17 सालों में जो नहीं कर पाए वो उन्होंने 10 जुलाई को कर दिया. न सिर्फ बेखौफ होकर तीर्थयात्रियों की बस को निशाना बनाया बल्कि हमले के बाद फरार भी हो गए. और सिर्फ बस को नहीं, पुलिस जवानों पर भी हमला किया. प्रधानमंत्री समेत पूरे देश ने इस कायराना हरकत की निंदा की.

अटैक के पीछे जहां यात्रियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया, वहीं सरकार ने इस करतूत को आतंकियों की हताशा करार दिया. मगर हकीकत ये है कि कई घरों में मातम पसर गया. किसी के सिर से मां का साया उठ गया तो किसी ने अपने बेटे, भाई और पिता को गंवा दिया.

तो क्या इस हमले को आतंकियों की हताशा ही माना जाए. दरअसल, इस दावे के पीछे दलील ये है कि कश्मीर में आतंक के खिलाफ मोदी सरकार सख्ती से पेश आ रही है. वहीं घाटी में बिगड़ते हालात को भी इसी की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है.

मगर पिछले कुछ वक्त में आतंकियों की करतूत पर नजर डालें, तो दरअसल ऐसा लगता है कि वो हताश नहीं हैं, उनके हौसले बढ़े हैं. वो लगातार अपने नापाक मंसूबों पर अमल करने में कामयाब हो रहे हैं. सुरक्षाबलों से सीधी मुठभेड़ तो कर रहे हैं, उनके बेस कैंपों में भी घुसकर वार करने की जुर्रत कर रहे हैं.

पठानकोट एयरबेस अटैक

2 जनवरी, 2016 को तड़के सुबह 3:30 बजे पंजाब के पठानकोट में एयरफोर्स बेस पर आतंकियों ने हमला किया. मुठभेड़ में 7 जवान शहीद हो गए और 37 लोग घायल हो गए. हालांकि, सभी हमलावर आतंकी भी मारे गए. मगर आतंकियों के पास भारी मात्रा में असलहा बारूद मौजूद था. यहां तक कि आतंकी एक-47 जैसे हथियार लेकर आए थे. जिससे सवाल उठता है कि क्या सीमा पार से हथियारों की सप्लाई पर सरकार रोक लगाने में नाकाम रही है.

उरी हमला

19 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के बेस कैंप पर आत्मघाती हमला किया गया. इस हमले में सेना के 17 जवान शहीद हो गए. हालांकि, सेना ने हमला करने आए चारों आतंकियों को भी मार गिराया. इन आतंकियों के पास से पाकिस्तान की मार्किंग वाला सामान बरामद हुआ. आतंकियों से चार एके-47 और ग्रेनेड बरामद हुए. इतना ही नहीं उनके पास आग लगाने वाले हथियार भी मौजूद थे.

यानी एक बार फिर साबित हो गया कि आतंकी सीमा पार से आए, वहीं से हथियार लाए, वहीं से दवाइयां और दूसरे सामान लाए और भारत की सीमा में घुसकर सेना के बेस कैंप को निशाना बनाने में कामयाब हो गए.

पुलवामा-सोपोर में सिलसिलेवार हमले

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा और सोपोर में इसी साल 13 जून की रात आतंकियों ने सुरक्षाबलों के कैंपों को निशाना बनाया. सिर्फ एक या दो नहीं, बल्कि 6 कैंपों पर हमला किया.

पहला हमला- पुलवामा जिले के त्राल में सीआरपीएफ कैंप के अंदर ग्रेनेड फेंका गया. हमले में नौ जवान और एक अफसर घायल हो गया.

दूसरा हमला- पुलवामा जिले के पडगामपोरा में सीआरपीएफ कैंप पर ग्रेनेड से हमला हुआ.

तीसरा हमला- पुलवामा में रात नौ बजे पुलिस थाने पर ग्रेनेड फेंका. इस दौरान करीब 15 मिनट तक पुलिस और आतंकियों के बीच फायरिंग होती रही.

चौथा हमला- पहलगाम के सरनाल में सीआरपीएफ कैंप पर ग्रेनेड से हमला किया गया. हालांकि इस हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ.

पांचवां हमला- सोपोर के पाजलपुरा में सेना के कैंप पर ग्रेनेड से हमला. इस हमले में किसी के हताहत होने की कोई खबर सामने नहीं आई है.

यानी आतंकियों ने एक ही रात सुरक्षाबलों के 6 कैंपों को निशाना बनाया. उनके पास न सिर्फ आधुनिक हथियार थे, बल्कि उनकी संख्या भी इतनी थी कि सिलसिलेवार तरीके से 6 हमलों को अंजाम दिया. इससे जाहिर होता है कि कहीं न कहीं आतंकियों फंडिंग और घुसपैठ पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है. हालांकि, आजतक के स्टिंग ऑपरेशन के बाद एनआईए ने फंडिंग के आरोप में कई अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसा है.

वहीं अमरनाथ यात्रियों पर हालिया हमले की बात करें तो सरकार के सूत्रों से जानकारी मिली है कि आतंकियों ने अपने मुखबिर छोड़े हुए थे, जो तीर्थयात्रियों की ऐसी गाड़ियों को फॉलो कर रहे थे, जिनके साथ सुरक्षाबलों का काफिला मौजूद न हो. यानी आतंकियों ने इस हमले के लिए अपने ओवर ग्राउंड नेटवर्क का इस्तेमाल किया. क्योंकि सुरक्षा कवज हटने के 50 मिनट के अंदर ही आतंकियों ने बस पर धावा बोल दिया, ऐसे में ये जाहिर होता है कि आतंकियों का संचार नेटवर्क भी घाटी में काफी मजबूत है.

इस सबके बीच सेना ने हाल ही में घाटी में मौजूद आतंकियों की एक लिस्ट तैयार की है. लिस्ट के आधार पर सेना ने आतंकियों के खात्मे के लिए ‘ऑपरेशन क्लीन स्वीप’ शुरू किया है. भारतीय सेना लगातार इस दिशा में काम कर रही है और सब्जार भट्ट जैसे आतंक के बड़े चेहरों को जमींदोज किया जा चुका है. मगर, आतंकी फंडिंग, घुसपैठ और हथियारों की सप्लाई जैसे जिन मुद्दों पर मौजूदा सरकार के नेतृत्वकर्ता पहली सरकार को फेल करार देते थे, उन्हीं नेटवर्क के जरिए आतंकी अपने नापाक मंसूबों को बढ़ाने में आगे बढ़ते दिख रहे हैं.

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