इतना ही नहीं दैनिक भत्ता दोगुना करने, विस भत्ता करीब तीन गुना, यात्रा भत्ता पांच गुना, ऑफिस में डाटा एंट्री ऑपरेटर, रिसर्च और सहायक का खर्च भी करीब दोगुना करने की सिफारिश की गई है।
इस विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद जब तक नया कानून नहीं बनता तब तक हर साल मूल वेतन 50 हजार रुपये में सालाना 5 हजार रुपये वृद्धि की सिफारिश भी की गई है।
अभी ये 84 हजार रुपये मिलते हैं। साथ ही किराये पर ऑफिस लेकर चलाने वाले विधायकों को 25 हजार रुपये मासिक अतिरिक्त मिलेंगे। यह देश भर में सबसे अधिक वेतन भत्ते की सिफारिश है। अभी सबसे अधिक हिमाचल प्रदेश व आंध्र प्रदेश में 1.25 लाख रुपये मासिक मिलते हैं।
विधायकों के दी जाने वाली सुविधा में एक बार ऑफिस फर्निशिंग के लिए एक लाख रुपये, ऑफिस के लिए कंप्यूटर, ऑफिस का जरूरी सामान खरीदने केलिए 60 हजार रुपये की सिफारिश की गई है जो अभी तक नहीं मिलता था।
देश में जहां सबसे अधिक वेतन भत्ते व खर्च 1.25 लाख रुपये हिमाचल प्रदेश में दिए जाते हैं, वहीं ओडिशा में महज 20 हजार रुपये विधायकों को मिलते हैं। पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में भी दिल्ली से कम वेतन विधायकों को मिलता है।
क्या परिवर्तन की है सिफारिश
श्रेणी—————–अभी———-सिफारिश
वेतन————–12,000——–50,000
विस भत्ता———-18,000——–50,000
सचिव, रिसर्च——-40,000——–70,000
कम्युनिकेशन——–8,000———10,000
यात्रा भत्ता———–6,000———30,000
दैनिक भत्ता———-1,000———2,000
सालाना सैर———50,000——-3,00,000
वाहन लोन———-4 लाख———12 लाख
पेंशन—————7,500———15,000
(सभी आंकड़े रुपये में)