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आमिर से लेकर अंबानी तक हैं इन टीचर के फैन

amirवाराणसी : 5 सितंबर को आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्‍णन के जन्मदिन को पूरा देश टीचर्स डे रूप में मनाता है। इस खास मौके पर  आपको तीन मुस्लिम बहनों के बारे में बताने जा रहा है, जो पिछले कई सालों से अपने गांव को शिक्षित करने का काम कर रही हैं।वाराणसी. पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को आज पूरी दुनिया जानती है। उन्होंने लड़कियों की पढ़ाई के लिए अपनी जान तक दांव पर लगा दी और कामयाब भी हुईं। कुछ ऐसी ही मिसाल वाराणसी के लोहता सजोयी गांव की रहने वाली तीन मुस्लिम बहनों ने पेश की है। वे गांव के 150 बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रही हैं। इसके अलावा गांव की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने अभियान चला रखा है। उनके जज्बे की वजह से ही आज गांव में 90 फीसदी लोग साक्षर हो गए हैं। इस पहल के लिए बॉलीवुड एक्टर आमिर खान और नीता अंबानी ने उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित किया था। वहीं, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी उन्हें शाबाशी मिली थी।साक्षरता के इस अभियान तरन्नुम, तबस्‍सुम और रुबीना चला रही हैं। इन बहनों ने गरीबी और लाचारी को बेहद करीब से देखा है। एक ही किताब से तीनों ने पढ़ाई की और आज इन बहनों ने 20 हजार की आबादी वाले गांव में साक्षरता की ऐसी अलख जगाई कि पांच साल में 90 फीसदी ग्रामीण साक्षर हो गए। उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी के चलते इंटर के बाद तीन साल तक अपनी पढ़ाई वो आगे जारी नहीं रख सकीं। हालांकि, अब ग्रेजुएशन पूरा कर तीनों आईटीआई कर रही हैं।मदरसे से की अभियान की शुरु लोहता सजोयी गांव में रहने वालीं ये तीनों लड़कियां गरीब बुनकर परिवार से हैं। उनके घर में मुश्किल से दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाता है। तरन्नुम बताती हैं कि साल 2010 में गांव में बंद पड़े मदरसे में तीनों बहनों ने मिलकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। शुरुआत में उन्हें लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे पांचवी क्लास के बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित और उर्दू पढ़ाना शुरू कर दिया।यूपी सरकार भी कर चुकी है सम्मानित24 मार्च 2012 को नीता अंबानी और बॉलीवुड एक्टर आमिर खान ने मुंबई बुलाकर तीनों बहनों को अवॉर्ड दिया था। इसके बाद दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी उनसे मिलीं और इस मुहिम के लिए शाबाशी दी। यूपी सरकार की ओर से ‘महिला शिक्षा-सुरक्षा योजना’ अभियान का पुरस्कार भी इन्हें मिल चुका है।

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