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आवास विकास ने 50 प्रतिशत तक बढ़ाई जमीन की कीमतें

lucknow awas vikasलखनऊ : उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने प्रदेश भर में अपनी योजनाओं में जमीन की कीमतें बढ़ा दी हैं। इलाहाबाद में जमीन की कीमतों में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। यहां 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। जबकि गाजियाबाद में 10 प्रतिशत से कम की बढ़ोतरी की गई है। गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार योजना में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। राजधानी लखनऊ में 30 फीसदी से अधिक तक की कीमतें बढ़ी हैं। उन आवासीय योजनाओं में भी जमीन की कीमतें बढ़ा दी गई है जहां परिषद के पास बेचने के लिए कोई सम्पत्ति ही नहीं है। दरें बढ़ने से बाजार में जमीन की कीमतों में उछाल आना तय हैं। इससे अपार्टमेंट भी मंहगे हो जाएंगे। लखनऊ में अप्रैल में शुरू होने वाले 10 हजार समावादी आवासों पर भी इसका असर पडे़गा। इनकी कीमतें भी 10 से 15 फीसदी तक बढ़ जाएंगी। आवास विकास परिषद ने सोमवार को कीमतें बढ़ाने का आदेश जारी कर दिया। बढ़ी कीमतें एक अप्रैल 2015 से लागू हो जाएंगी। आवास विकास परिषद ने पिछले वर्ष मार्च 2014 में जमीन की कीमतें बढ़ाई थीं। ठीक एक वर्ष बाद उसने फिर से अपनी योजनाओं में जमीन की कीमतें बढ़ा दी हैं। इससे मकान व प्लाट काफी मंहगे हो जाएंगे। कई योजनाओं में मकान व प्लाट लोगों की पहुंच से बाहर हो जाएंगे। आवास आयुक्त सहाबुद्दीन मोहम्मद ने जमीन की कीमतें बढ़ाने के लिए कमेटी गठित की थी। कमेटी ने बैठक के बाद इसमें 50 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी का निर्णय लिया था। कमेटी की संस्तुति मिलने के बाद परिषद के वित्त नियंत्रक रंजन मिश्रा ने 30 मार्च को कीमतें बढ़ाने का आदेश भी जारी कर दिया। उन्होंने एक अप्रैल 2015 से जमीन की बढ़ी कीमतें लागू करने का आदेश दिया है। झूंसी योजना दो व तीन इलाहाबाद में जहां जमीन की कीमतों में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी गई है वहीं गाजियाबाद में कीमतें सबसे कम बढ़ाई गई हैं। यहां 10 प्रतिशत से कम बढ़ोत्तरी हुई है।
राजधानी लखनऊ में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी की गई है। रायबरेली रोड लखनऊ स्थित वृन्दावन योजना संख्या-एक में जमीन की कीमत 3500 रुपए प्रतिवर्गमीटर बढ़ाई गई है। यहां पहले कीमत 16000 रुपए प्रति वर्गमीटर थी। जिसे अब 19500 रुपए प्रति वर्गमीटर कर दिया गया है। इसी तरह अवध विहार योजना लखनऊ में जमीन की कीमत 16000 से बढ़ाकर 18500 रुपए प्रति वर्गमीटर कर दी गई है। राजधानी की उन योजनाओं में भी जमीन की कीमतें बढ़ाई गई हैं जहां परिषद के पास कोई सम्पत्ति ही नहीं है।

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