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इंजिनियर चुनने लगा कीलें, जमा कर चुके हैं 37 किलो कीलें

engineerएजेंसी/ साल 2012 से बेंगलुरु में रह रह रहे बेनेडिक्ट जेबाकुमार बेल्लांदुर स्थित अपने दफ्तर जाने के लिए हर आउटर रिंग रोड का रास्ता लेते हैं। उन्होंने नोटिस किया कि उनकी बाइक अक्सर ही सिल्क बोर्ड के दफ्तर के पास पंक्चर हो जाया करती है। शुरू में उन्हें लगा कि बाइक का टायर अच्छी क्वॉलिटी का नहीं है। लेकिन बाद में उन्हें यह एहसास हुआ कि पंक्चर करने वाली सभी कीलें एक तरह की ही थीं।

बेनेडिक्ट के साथ यह सिलसिला अगले दो सालों तक जारी रहा और इसके बाद एक दिन उन्होंने खुद कुछ करने का फैसला लिया। पेशे से सिस्टम इंजिनियर 44 वर्षीय बेनेडिक्ट बताते हैं, ‘2014 की जुलाई से मैं सड़कों पर गिरी कीलें चुन रहा हूं। शुरू में मैं इन्हें नंगे हाथों से चुना करता था लेकिन अब मैं मोड़े जा सकने वाले मैग्नेटिक स्टिक का इस्तेमाल करता हूं।’

वह हर सुबह सात बजे बनशंकरी स्थित अपने घर से दफ्तर के लिए निकल जाते हैं। सड़क पर कुछ खास पॉइंट्स पर रुकते हैं और उन्हें कीलों से मुक्त करने के अभियान पर लग जाते हैं।
बेनेडिक्ट यही काम दफ्तर से घर वापसी के वक्त भी करते हैं लेकिन शर्त यह होती है कि ट्रैफिक का ज्यादा दबाव न हो। वह कहते हैं, ‘मेरा मकसद जागरूकता फैलाना है। मैं तब तक इसे जारी रखूंगा जब तक प्रशासन कोई कदम नहीं उठाता है।’

2014 के अक्टूबर में उन्होंने ‘माई रोड, माई रिस्पॉन्सिबिलिटी’ नाम से एक फेसबुक पेज भी शुरू किया था जिस पर वह रोज जुटाई गई कीलों की तस्वीरें जारी करते हैं और उनके वजन के बारे में भी बताते हैं।

ऐसे दिन भी होते हैं जब उनका बैग इन कीलों से भर जाता है और उन्हें अपना काम बंद करना पड़ता है। केवल 21 मार्च को बेनेडिक्ट ने सड़क पर से 1,654 कीलें चुनी थीं और अब तक वह 37 किलो कीलें जमा कर चुके हैं।

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