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इशरत मामले में नए खुलासे ने चिदम्बरम की भूमिका पर खड़े किए सवाल

images (14)नई दिल्ली।

इशरत जहां के मामले में नया खुलासा पुर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम के लिए नई मुसीबत लेकर आया है। अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ ने आरटीआई कानून के जरिए कुछ दस्तावेज हासिल किएं हैं, जिससे साफ हो गया है कि इशरत जहां को आतंकी बताने वाले पहले हलफनामे को बतौर गृहमंत्री खुद पी. चिदंबरम ने हरी झंडी दी थी और एक महीने बाद ही दूसरे हलफनामे में उसे निर्दोष बताया था। 

जबकि सार्वजनिक रूप से चिदंबरम पहले हलफनामे के पीछे निचले स्तर के अधिकारियों का हाथ बताते रहे हैं। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजु ने चिदंबरम के इस काम को राष्ट्रविरोधी करार दिया है। 

हैरानी की बात यह है कि इशरत जहां से संबंधित फाइल के 28 पेज गायब हैं। तकरीबन 70 पन्नों वाली इशरत केस की फाइल में सरकारी नोटिंग्स, दस्तखत, कानूनी दस्तावेज, और कई अटैचमेंट्स हैं, जिन्हें पहले कभी सार्वजनिक नहीं किया गया था। 

पहले खुद दिया आदेश फिर बदल दिया गया हलफनामा

गृह मंत्रालय के पास लश्कर आतंकी इशरत जहां से संबंधित फाइल के अनुसार इशरत जहां को आतंकी बताने व लश्कर के आत्मघाती दस्ते का सदस्य होने का दावा करने वाले हलफनामे को खुद चिदंबरम ने 29 जुलाई 2009 को हरी झंडी दी थी। लेकिन एक महीने के भीतर उन्होंने नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दे दिया।

तत्कालीन गृहसचिव जीके पिल्लई पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इशरत को क्लीनचिट देने वाले दूसरे हलफनामे से उनका कोई लेना-देना नहीं था और इसका फैसला राजनीतिक स्तर यानी मंत्री के स्तर पर लिया गया था। लेकिन फाइल से यह साफ नहीं है कि दूसरे हलफनामे की जरूरत क्यों महसूस की गई।

गायब हुए 28 पन्नों में छुपा हो सकता है राज

माना जा रहा है कि इसका राज इशरत की फाइल के उन 28 पन्नों में छुपा है, जो गायब हैं। बताया जाता है कि इन पन्नों में हलफनामे में बदलाव से पहले और बदलाव के बाद वाले अंश का सरकारी ब्योरा था। गृह मंत्रालय के अतिरिक्त इन पन्नों के गायब होने की जांच कर रहे हैैं।

गौरतलब है कि 19 वर्षीय इशरत जहां का 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस की अपराध शाखा ने अहमदाबाद में तीन अन्य आदमियों के साथ इशरत को भी गोली मार दी गई। गुजरात पुलिस का दावा है कि इन चारों की पहचान बतौर आतंकी हुई है। यह नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए आए थे। इशरत के साथ मारे जाने वालों में प्राणेश पिल्लई (उर्फ जावेद गुलाम शेख), अमजद अली राणा और जीशान जोहर शामिल हैं।

रिजिजू ने चिदम्बरम को बताया देशद्रोही

गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को देशद्रोही बताया है, साथ ही उन पर गलतबयानी और अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। 

रिजिजू ने कहा, ‘चिदंबरम ने अपना फर्ज अदा नहीं किया। इशरत की सूचनाओं को उन्होंने नजरअंदाज किया। अब वह रंगे हाथ पकड़े गए हैं। बच नहीं सकते। चिदंबरम की वजह से आईबी और सीबीआई में टकराव हुआ। देश की जांच एजेंसियों का हौसला उनकी वजह से टूटा। चिदंबरम पर जरूर कोई राजनीतिक दबाव रहा होगा। इसी वजह से इशरत का मामला पेचीदा हो गया।’

चिदम्बरम ने मामले में साधी चुप्पी

वहीं, चिदंबरम ने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे जब तक कि वह फाइलें और उनकी नोटिंग न देख लें। उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि दूसरा हलफनामा गृह सचिव और अटर्नी जनरल की सलाह से ही दायर किया गया था। 

उन्होंने कहा कि आइबी ने खुफिया जानकारियां भी दी थीं। फिर भी एक व्यक्ति आतंकी है या नहीं कानूनी अदालत में सुबूतों के आधार पर तय होना चाहिए। मुख्य मुद्दा तो यह है कि अगर कोई संदिग्ध आतंकी भी हो तो क्या उसका फर्जी एनकाउंटर करना उचित है? 

हालांकि इस मुद्दे पर चिदंबरम पहले ही सफाई दे चुके हैं। उनका कहना है कि इशरत पर पहला एफिडेविट भरोसे के लायक नहीं था। कांग्रेस का कहना है कि इशरत की हत्या को अदालत ने फर्जी मुठभेड़ का नतीजा माना है।

 

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