फीचर्डराज्य

इस प्रणाली से जर्जर होने से पहले ही पुलों की होगी मरम्मत

nitin-gadkriनई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को यहां भारतीय पुल प्रबंधन प्रणाली (आईबीएमएस) लांच की। आईबीएमएस देश में सभी पुलों की इनवेंटरी बनाने के लिए विकसित की जा रही है, ताकि पुल की गंभीर स्थिति के आधार पर मरम्मत का काम किया जा सके। इस अवसर पर गडकरी ने कहा, “देश में पुलों को लेकर कोई डाटा नहीं है। इस कारण हमें पुलों की सही संख्या और स्थान को लेकर स्पष्टता नहीं है।

हम पुलों की कार्यस्थिति बनाए रखने में सफल नहीं हुए हैं। पुलों की खराब हालत से परिवहन पर प्रतिकूल असर पड़ता है और अनेक अवसरों पर दुर्घटनाओं में जीवन का नुकसान होता है। भारतीय पुल प्रबंधन प्रणाली (आईबीएमएस) का उद्देश्य देश में सभी पुलों का डाटाबेस तैयार करना और उन पुलों का विस्तृत ब्योरा देना है ताकि पुलों की समय पर मरम्मत की जा सके और नए पुल बनाए जा सकें।”

आईबीएमएस विश्व का सबसे बड़ा मंच है, जिसमें एक लाख 50 हजार से अधिक पुलों का डाटाबेस रखा जा सकता है। अबतक एक लाख 15 हजार पुलों की सूची बनाई गई है। इसमें से 85 हजार पुलिया हैं और शेष पुल।

यहां जारी बयान के अनुसार, इनवेंटरी बनाते समय प्रत्येक पुल को अनूठी पहचान संख्या या राष्ट्रीय पहचान संख्या राज्य, आरटीओ जोन तथा राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य का राजमार्ग और जिले की सड़क पर होने के आधार पर दी जाती है। फिर जीपीएस के माध्यम से अक्षांश, देशांतर के संदर्भ में पुल के वास्तविक स्थान का पता किया जाता है और इसी के आधार पर पुल स्थान संख्या दी जाती है। फिर डिजाइन, मेटेरियल, पुल के प्रकार, पुल की आयु, लोडिंग, यातायात लेन, लम्बाई-चौड़ाई संबंधी जानकारियां एकत्रित की जाती हैं और इनका इस्तेमाल कर पुल वर्गीकरण संख्या दी जाती है।

बयान के अनुसार, पुलों को ढांचागत रेटिंग संख्या भी दी जाती है। यह संख्या शून्य के नौ के पैमाने पर प्रत्येक पुल को दी जाती है। यह रेटिंग पुल के ढांचे से संबंधित घटकों पर विचार करने के बाद दी जाती है। पुलों को सामाजिक, आर्थिक पुल रेटिंग संख्या भी दी जा रही है। इससे क्षेत्रीय सामाजिक आर्थिक गतिविधि में पुल के योगदान का महत्व निर्धारित होगा।

गडकरी ने कहा कि राजस्थान और महाराष्ट्र ने रेल ओवर ब्रिज पर कार्य शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचार को अपनाने की जरूरत है, ताकि कम लागत में उपयोगी और उचित ढांचे का इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कचरे के इस्तेमाल और निर्माण के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्ची सामग्री के इस्तेमाल पर बल दिया, ताकि लागत कम की जा सके।

गडकरी ने कहा कि इस दिशा में व्यापक शोध की जरूरत है और इस काम में आईआईटी तथा अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों को शामिल करना पड़ेगा।

 

Related Articles

Back to top button