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इस ‘विनायक चतुर्थी’ पर बन रहा है ये खास संयोग, ऐसे पायें विघ्न-बाधाओं से मुक्ति का वरदान

विनायक चतुर्थी (vinayaka chaturthi) सभी देवताओं में पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश जी को समर्पित है। विनायक चतुर्थी हर महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को पड़ती है।

इस 'विनायक चतुर्थी' पर बन रहा है ये खास संयोग, ऐसे पायें विघ्न-बाधाओं से मुक्ति का वरदानविनायक चतुर्थी इस महीने 11 दिसंबर 2018 (मंगलवार) को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और उनका व्रत करना फलदायी होता है।

इस दिन भगवान गणेश का पूजन करने से सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को किए जाने वाले व्रत को ‘विनायक चतुर्थी’ (vinayaka chaturthi) के नाम से जाना जाता है।

विनायक चतुर्थी को वरद चतुर्थी भी कहा जाता है। वरद का अर्थ होता है भगवान से किसी भी इच्छा को पूरा करने के लिए प्रार्थना करना। माना जाता है कि जो इस दिन उपवास का पालन करते हैं उन भक्तों को भगवान गणेश ज्ञान और धैर्य के साथ आशीर्वाद देते हैं।

विनायक चतुर्थी पूजा-विधि (Vinayaka Chaturthi Pooja Vidhi)

भगवान गणेश की विनायक-चतुर्थी के दिन सोलह उपचारों और वैदिक मन्त्रों के जापों के साथ पूजा की जाती है। भगवान विनायक की सोलह उपचारों से की जाने वाली पूजा को षोडशोपचार पूजन कहा जाता है।

भगवान गणेश को प्रातःकाल, मध्याह्न और संध्या काल में से किसी भी समय पूजा जा सकता है। परन्तु गणेश-चतुर्थी के दिन मध्याह्न का समय गणेश-पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मध्याह्न के दौरान गणेश-पूजा का समय विनायक-चतुर्थी पूजा मुहूर्त कहलाता है।

यदि भगवान गणपति आपके घर में अथवा पूजा स्थान में पहले से ही प्राण-प्रतिष्ठित हैं तो षोडशोपचार पूजा में सम्मिलित आवाहन और प्रतिष्ठापन के उपचारों को त्याग देना चाहिए।

आवाहन और प्राण-प्रतिष्ठा नवीन गणपति मूर्ति (मिट्टी अथवा धातु से निर्मित) की ही की जाती है। यह भी आवश्यक है कि घर अथवा पूजा स्थान में प्रतिष्ठित मूर्तियों का पूजा के बाद विसर्जन के स्थान पर उत्थापन किया जाता है।

ऐसे करें भगवान ‘गणेश’ की पूजा 

पंडित धनंजय पाण्डेय के अनुसार इस महीने विनायक चतुर्थी (11 दिसंबर) के दिन दोपहर को (मध्याह्न काल) में पूजा करना शुभ होगा। विनायक चतुर्थी के दिन द‍िन सुबह उठकर स्‍नान आद‍ि से निवृत हो जाएं।

इसके बाद गणेश जी के सामने हाथ जोड़कर व‍िनायक चतुर्थी का व्रत करने का संकल्‍प लें। फिर मध्याह्न काल में एक पाटे पर लाल कपड़ा ब‍िछाकर गणेश जी छोटी प्रत‍िमा को स्‍थापित करें। इसके बाद कलश स्‍थाप‍ित कर व‍िध‍ि-व‍िधान से उनकी पूजा करें और कथा पढ़ें। गणेश जी को मोदक का भोग लगाकर आरती आदि करें।

इन मंत्रों से करें ‘विनायक’ की पूजा

व‍िनायक चतुर्थी की पूजा करते समय गणेश जी के इन 10 नामों को पढ़ते हुए 21 दुर्वा उन पर जरूर चढ़ाना चाहि‍ए। ॐ गणाधिपाय नम, ॐ उमापुत्राय नम, ॐ विघ्ननाशनाय नम, ॐ विनायकाय नम, ॐ ईशपुत्राय नम, ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम, ॐ एकदंताय नम, ॐ इभवक्ताय नम, ॐ मूषकवाहनाय नम,ॐ कुमारगुरवे नमः।

विनायक चतुर्थी के दिन इन मंत्रों से गणेश जी की पूजा करने पर गणेश जी अपने भक्‍तों को आशीर्वाद देते हैं। साथ ही भक्‍तों के कष्‍टों को दूर कर उनके जीवन में खुशियां भरते हैं।

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