एजेन्सी/ पिछले साल की तरह इस साल भी दालों के लिए आपको 200 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक की कीमत चुकानी पड़ सकती है। दाल के भाव में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है और कारोबारियों के पास दालों के स्टॉक नहीं होने की वजह से दाल के दाम में अभी 20-25 फीसदी और तेजी आ सकती है। दाल के उत्पादन में भी उम्मीद के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। वहीं स्टॉक रखने पर भारी जुर्माने व जेल जाने के डर से दाल आयातकों ने दाल का आयात भी पिछले साल के मुकाबले कम किया।
भारत में लगभग 185 लाख टन दाल का उत्पादन होता है जबकि घरेलू खपत 220 लाख टन के आसपास है। हर साल भारत को लगभग 35-37 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है। दाल के थोक कारोबारियों के मुताबिक सभी दालों में तेजी का रुख है। अरहर दाल के थोक भाव अभी 145-150 रुपये प्रति किलोग्राम तक चल रहे हैं।
वहीं उड़द दाल के थोक दाम 175 रुपये प्रति किलोग्राम, मसूर दाल के थोक दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम तो चना दाल के थोक भाव 57 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गए हैं। चना दाल का यह रिकार्ड भाव है। उड़द दाल के खुदरा भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक जाने की आशंका है
दिल्ली दाल-दलहन मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान अशोक गुप्ता कहते हैं, दाल के दाम पिछले साल साल के रिकार्ड को तोड़ दे तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि कारोबारियों ने छापेमारी के डर के दाल का कोई स्टॉक नहीं रखा। पिछले साल दाल आयातक व थोक कारोबारियों पर हुई कार्रवाई से सभी में डर व्याप्त हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले साल तक अप्रैल महीने में दिल्ली में 25 लाख बोरी दाल का स्टॉक होता था जो अभी 10 लाख बोरी भी नहीं है।
दाल आयातक संजीव बंसल केमुताबिक पिछले साल दाल की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक होने केबाद आयातकों के यहां भी छापेमारी की कार्रवाई की गई। इसलिए डर से इस बार आयातकों ने सीमित मात्रा में दाल का आयात किया।
दाल कारोबारियों ने बताया कि मार्च महीने में चने की नई फसल आती है और इस दौरान चने की दाल में नरमी का रुख होता है, लेकिन अभी चने की दाल की थोक कीमत 57 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। कारोबारियों के मुताबिक पिछले साल सरकार ने दाल का बफर स्टॉक बनाने की बात की थी ताकि कीमत पर नियंत्रण रखा जा सके, लेकिन सरकार के बफर स्टॉक से अब तक दाल की आपूर्ति नहीं हुई है।