टॉप न्यूज़फीचर्डब्रेकिंगराष्ट्रीय

उन्नाव दुष्कर्म मामले में सात दिन में करें सड़क हादसे की जांच : उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को उन्नाव मामले में सीबीआई के किसी जिम्मेदार वरिष्ठ अफसर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मामले की जांच की पूरी रिपोर्ट भी मांगी। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई को बताया था कि उनकी लखनऊ में मामले की जांच कर रहे सीबीआई डायरेक्टर से बात हुई है। डायरेक्टर का कहना है कि केस की जांच लखनऊ मे चल रही है, इसलिए रिकार्ड वहीं हैं। ऐसे में जांच अधिकारियों का 12 बजे तक दिल्ली पहुंचना मुमकिन नहीं होगा। मेहता ने मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टालने की अपील की, हालांकि सीजेआई ने इससे इनकार करते हुए कहा कि सीबीआई डायरेक्टर जांच की प्रगति की रिपोर्ट पता करके कोर्ट को आज ही बताएं। सीजेआई के निर्देश के बाद सीबीआई की जॉइंट डायरेक्टर संपत मीणा सुप्रीम कोर्ट पहुंची। थोड़ी देर में कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। सीजेआई ने सीबीआई से कहा कि अगर एजेंसी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करना चाहती तो मामले की सुनवाई बंद कमरे में भी की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले को उत्तर प्रदेश से बाहर भी ट्रांसफर कर सकता है। इससे पहले उन्नाव में दुष्कर्म पीड़ित लड़की की कार की दुर्घटना होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संज्ञान लिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से ही उन्हें पीड़ित लड़की की चिट्ठी नहीं मिलने पर जवाब मांगा था। गोगोई ने कहा था- ‘‘सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री जवाब दें कि ऐसा क्यों हुआ?’’ दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा तैयार ऑफिस रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि यह मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में आया था।

बीते 12 जुलाई को सीजेआई गोगोई को लिखे गए पत्र में पीड़िता और उसकी मां ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इसमें लिखा था- उन लोगों पर एक्शन लिया जाए, जो उसे धमकाते हैं। लोग घर आकर केस वापस लेने की धमकी देते हैं। कहते हैं कि अगर ऐसा नहीं किया तो झूठे केस में फंसाकर जिंदगीभर जेल में बंद करवा देंगे। कुलदीप सिंह के भाई की धमकी के 20 दिन बाद रविवार को पीड़िता और उसका परिवार सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। पीड़िता के वकील महेंद्र सिंह ने उन्नाव के डीएम को 15 जुलाई को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि भविष्य में मेरी हत्या हो सकती है, लिहाजा मुझे बंदूक का लाइसेंस जल्द दिया जाए। 16 अप्रैल को पीड़ित लड़की की मां ने याचिका लगाई थी कि इस केस को उत्तरप्रदेश से बाहर ट्रांसफर किया जाए। क्योंकि, वहां पुलिस सही जांच नहीं कर रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई समेत 15 पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। लेकिन, ये नोटिस दो महीने 12 दिन तक रजिस्ट्री में ही दबे रहे। बाद में 28 जून को नोटिस डाक से भेजे गए। यह मामला रजिस्ट्रार की कोर्ट में 26 जुलाई को लिस्टेड था। लेकिन, अभी तक सीबीआई समेत किसी भी पक्षकार ने जवाब दायर नहीं किए हैं। परिवार ने 33 शिकायतें कीं, जिन्हें पुलिस ने खारिज कर दिया। दुष्कर्म पीड़ित के परिवार ने उसे मिलने वाली धमकियों को लेकर एक साल में 35 बार शिकायत की थी। इस पर उन्नाव के एसपी एमपी वर्मा ने कहा कि- ‘पुलिस को 35 नहीं, 33 शिकायतें मिली हैं। इनमें तथ्य नहीं मिले थे, इसलिए खारिज कर दीं। लेकिन, अब हम दोबारा जांच करेंगे। इससे पहले सीबीआई ने कार में टक्कर मारने की मामले में बुधवार को भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर समेत 10 नामजद और 20 अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया। आरोपियों में नवाबगंज का ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह भी शामिल हैं। वह यूपी में मंत्री रविंद्र प्रताप सिंह का दामाद है।

Related Articles

Back to top button