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एक अप्रैल से नई पेंशन योजना में अपना अंशदान बढ़ाएगी सरकार

प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की नई पेंशन योजना (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली) में सरकार का अंशदान 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही सिस्टम की दिक्कते दूर करने के लिए भी कहा गया है। बढ़े अंशदान का लाभ एक अप्रैल 2019 से दिया जाएगा।

प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा 31 जनवरी को जारी अधिसूचना के हिसाब से अपने कर्मचारियों को भी लाभ देने का फैसला किया है। प्रदेश के कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम के अंतर्गत पहले की तरह वेतन व महंगाई भत्ते के 10 प्रतिशत के समतुल्य धनराशि का मासिक अंशदान करना होगा। प्रदेश सरकार अथवा संबंधित स्वायत्तशासी संस्था, निजी शिक्षण संस्था वेतन व महंगाई भत्ते के 14 प्रतिशत के बराबर नियोक्ता अंशदान करेगी। यह व्यवस्था  सरकारी कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वायत्तशासी संस्थाओं व सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होगी। इसी तरह अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव कुमार मित्तल ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) की विसंगति दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को प्रदेश में क्रियान्वित करने की गाइडलाइन भी जारी कर दी है।

नई पेंशन की विसंगतियां दूर करने की व्यवस्था लागू

पेंशन निधि विकल्प : सरकारी कर्मचारी निजी क्षेत्र पेंशन निधि सहित किसी भी पेंशन निधि का चयन कर सकेंगे। वे वर्ष में एक बार अपना विकल्प बदल सकेंगे। हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र पेंशन निधि की वर्तमान व्यवस्था मौजूदा व नए सरकारी कर्मियों के लिए स्वत: उपलब्ध रहेगी।

निवेश पद्धति का विकल्प : सरकारी कर्मचारियों की वर्तमान योजना मौजूदा और नए सरकारी कर्मियों के लिए जारी रहेगी। इसके अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र के तीन निधि प्रबंधकों के बीच उनके पूर्व के कार्य अनुभव के आधार पर निधियां आवंटित की जाएंगी। ऐसे कर्मी जो न्यूनतम जोखिम के साथ निश्चित लाभ का विकल्प चुनते हैं, को सरकारी प्रतिभूतियों में 100 प्रतिशत निवेश का विकल्प होगा।

ऐसे कर्मी जो उच्चतर प्रतिफल के विकल्प का चयन करते हैं, उन्हें जीवनचक्र पर आधारित दो योजनाओं का विकल्प मिलेगा। पहला, परंपरागत जीवन चक्र निधि जिसमें इक्विटी में निवेश की अधिकतम सीमा 25 प्रतिशत होगी। दूसरा, सामान्य जीवन चक्र निधि जिसमें इक्विटी में निवेश की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत होगी।

जिस तरह केंद्र सरकार ने अपने कर्मियों को पेंशन निधि अथवा निवेश पद्धति में परिवर्तन की अनुमति दी है, राज्य कर्मचारियों को उसी के हिसाब से यह सुविधा उपलब्ध होगी।
सरकारी कर्मियों के लिए नए विकल्पों के अनुसार पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) द्वारा संचित कार्पस को पांच वर्ष में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इस योजना के अनुसार संचित कार्पस के संबंध में पेंशन निधि अथवा निवेश पद्धति में बदलाव की अनुमति दी जा सकेगी।

ब्याज सहित जमा होगा बकाया अंशदान

सरकार ने एक अप्रैल 2005 से 31 मार्च 2019 तक अंशदानों को जमा न करने अथवा देरी से जमा करने पर मय ब्याज मुआवजा देने का फैसला किया है। इसकेलिए प्रक्रिया तय कर दी गई है। ब्याज सहित बकाया जमा करने पर सरकार पर करीब 10,500 करोड़ रुपये व्यय भार आएगा।

प्रदेश सरकार ने अथवा सहायता प्राप्त संस्थाओं, शिक्षण संस्थाओं ने कर्मियों के वेतन में से 31 मार्च 2019 तक कटौती तो कर ली लेकिन राशि सीआरए सिस्टम में जमा नहीं की गई या देरी से की गई, या अंशदान की राशि को कटौती की तिथि से लेकर कर्मी केएनपीएस खाते में जमा होने की तिथि तक की अवधि के लिए जीपीएफ पर समय-समय पर लागू दरों पर ब्याज के साथ कर्मी के एनपीएस खाते में जमा किया जाएगा।

जिन कर्मियों के वेतन से एनपीएस अंशदानों की कटौती नहीं की गई थी, में कर्मी को अब अंशदान जमा कराने का विकल्प दिया जाए। यदि वह अब अंशदान जमा करने का विकल्प चुनता है तो अंशदान की राशि को एकमुश्त अथवा मासिक किस्तों में एनपीएस खाते में जमा कराया जा सकता है।

जिन मामलों में 31 मार्च 2019 तक नियोक्ता अंशदान नहीं भेजे गए या देर से भेजे गए (भले ही कर्मी से अंशदानों की कटौती हुई हो या नहीं), उनमें नियोक्ता अंशदान की राशि अंशदान देय होने की तिथि से लेकर कर्मी के खाते में वास्तविक रूप से जमा होने तक की अवधि के लिए ब्याज के साथ कर्मी के एनपीएस खाते में जमा की जाएगी।

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