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ऐसे मिलेगी पराली जलाने से छाई धुंध से निजात, देहरादून में शुरू हुई पहल

पिछले दिनों पंजाब, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों में पराली जलाने से आसमान में छाई रही धुंध की समस्या से लोगों को अब निजात मिलेगी। अब किसान पराली जलाएंगे नहीं, बल्कि उससे कंपोस्ट खाद तैयार की जाएगी। बिनीता शाह नेगी खाद बनाने की विधि को किसानों तक पहुंचा रही हैं। दून के कई गांवों में पराली से कंपोस्ट बनानी शुरू भी हो गई है। सुपा एग्रीकल्चर रिसर्च ग्रुप (एसएआरजी) की सीईओ बिनीता शाह नेगी ने बताया कि बायो-डायनामिक विधि से पराली से कंपोस्ट खाद बनाई जा सकती है। इसमें गोबर की मात्रा 30 प्रतिशत होती है जबकि पराली की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। इसके अलावा कल्चर, जंगली घास भी मिलाई जाती है। इस खाद को बनाने में किसान को बाहर से कुछ खरीदना नहीं पड़ेगा।

चार राज्यों में रंग ला रही मुहिम
इस खाद को बनाने में किसान को करीब 40 पैसा प्रति किलो की लागत आएगी, जबकि बाजार से उन्हें 35 से 40 रुपये प्रति किलो कंपोस्ट खाद खरीदनी पड़ती है। वह दून के थानो, कुमाल्दा समेत चार गांवों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ चुकी हैं, जहां कई किसानों ने पराली से कंपोस्ट खाद तैयार करनी शुरू की है। दून के तापमान पर इस खाद को तैयार होने में करीब 60 दिन का समय लगता है, जबकि गर्म स्थानों पर करीब 45 दिन लगते हैं।

उत्तराखंड जैविक बोर्ड में सीईओ के पद पर कई सालों तक सेवाएं दे चुकी बिनीता शाह नेगी ने कहा कि वह उत्तराखंड के अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में किसानों को इस विधि से जोड़ रही हैं। इसमें काफी अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। वह 15 सालों से इस पर काम कर रही हैं।

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