दस्तक-विशेषव्यापार

ओएनजीसी : सुगम जिंदगी का महत्वपूर्ण ‘पड़ाव’

डी.एन. वर्मा
भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे ज्ञान का भंडार सीमित हो जा रहा है। वजह चाहे समय की कमी हो या फिर किसी चीज या रुचि का अभाव। एक तरह से हम लोग अपने भीतर ही केन्द्रित होते जा रहे हैं। ‘हम भले, हमारा परिवार भला, लेकिन यह सोच सबकी नहीं है। इसीलि, तो तमाम झंझावतों के बाद भी देश तरक्की की राह पर चलता रहता है। हां, समय के साथ तरक्की की गति जरूर धीमी या तेज हो सकती है, परंतु यह रुकती कभी नहीं है। याद कीजिये आज से तीन वर्ष पूर्व का समय जब केन्द्र में यूपीए की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री। उस समय आम धारणा थी कि देश सरकार के सहारे नहीं ‘राम भरोसे’ चल रहा है। अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह पीएम थे, लेकिन उनकी स्थिति उस हाथी की तरह थी, जिसके खाने और दिखाने के दांत अलग-अलग होते हैं। मनमोहन सिंह की हैसियत पीएम कम, कठपुतली जैसी ज्यादा थी। मनमोहन सरकार को लोग गुंगी-बहरी सरकार भी कहते थे। दस जनपथ जैसे और जितना चाहता था, मनमोहन सिंह उतना ही करते और चलते थे। देश की जनता त्राहिमाम कर रही थी और मनमोहन के मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भ्रष्टाचार में लिप्त होकर तमाम घोटाले कर रहे थे। मगर अब हालात बदल चुके हैं। 2014 में भारी जनादेश के साथ पीएम के रूप में मोदी की दिल्ली में ताजपोशी हुई, तब से केन्द्र में हर स्तर पर बदलाव देखने को मिल रहा है। धड़ाधड़ फैसले लिये जा रहे हैं। मोदी सरकार के कुछ फैसलों पर उंगली तो उठाई जा सकती है, लेकिन यह कोई नहीं मानता है कि मोदी सरकार निष्क्रिय है।
सही मायनों में मोदी सरकार गरीबों की सरकार है, इस बात का अहसास पीएम मोदी ने 26 मई 2014 को शपथ लेने के साथ ही करा दिया था। इसीलिए मोदी सरकार ने जनधन खाता खोलने, 12 रुपये में जीवन बीमा कराने जैसी स्कीम बनाई। गरीब परिवार की जो गृहणियां चूल्हा और अंगीठी जलाने को मजबूर थीं, उनके लिये पीएम उज्जवला योजना लाये। इस फैसले में गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिये जा रहे है ताकि धुएं से किसी गरीब महिला की आंख न खराब हो। सत्तारूढ़ होते ही केंद्र की मोदी सरकार ने गरीब परिवार की महिला सदस्यों को मुफ्त रसोई गैस (एलपीजी) कनेक्शन मुहैया कराने के लिए 8,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी थी, जिसका असर अब दिखने लगा है। प्रधानमंत्री ने जब उज्जवला योजना की घोषणा की तो उसी समय यह भी तय हो गया था कि यह योजना बिना प्राकृतिक तेल एवं पेट्रोलियम गैस निगम (ओएनजीसी) के सहयोग से पूरी नहीं हो सकती है। इसलिए पीएम मोदी ने इस महकमे की जिम्मेदारी युवा और तेजतर्रार नेता और सांसद धर्मेन्द्र प्रधान के कंधों पर डाली। प्रधान ने न केवल यह जिम्मेदारी सहज संभाली, बल्कि वह पीएम मोदी की कसौटी पर खरे भी उतरे। उज्जवला योजना को तो प्रधान ने कामयाबी का जामा पहना ही दिया है, इसके अलावा भी ओएनजीसी कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय योजनाओं पर तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।
केन्द्रीय पेट्रोलियम गैस मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं, भारत की महिलाओं को खाना बनाते समय धुएं से जूझना पड़ता है। रसोई में खुली आग के धुएं में एक घंटे बैठने का मतलब है 400 सिगरेट का धुआं सूंघना, लेकिन इस ओर कभी किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। ओएनजीसी मंत्री कहते हैं पिछले कुछ महीनों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 1.20 करोड़ से ज्यादा रसोई गैस कनेक्शन जारी किए जा चुके है। इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन वाली महिलाओं को मिल रहा हैं। उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिलने के बाद वातावरण प्रदूषित करने वाले ईंधन से खाना बनाने से इन महिलाओं को होने वाली तकलीफ कम होने के साथ ही उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी कमी देखने को मिल रही है। यह भी लगभग तय है कि उज्जवला योजना से अस्वच्छ ईंधन से खाना बनाने के कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी भी आएगी। अभी तो करीब सवा करोड़ गृहणियों तक ही गैस कनेक्शन पहुंचे हैं, लेकिन मोदी सरकार का लक्ष्य इस योजना से पांच करोड़ परिवारों को लाभान्वित करने का है। धर्मेन्द्र प्रधान कहते हैं कि सबसे खास बात यह है कि उज्जवला योजना को साकार करने के लिए उनकी सरकार को कहीं और से अतिरिक्त धन नहीं जुटाना पड़ा। पिछले साल 27 मार्च को पीएम मोदी की देशवासियों से रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील के बाद केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा चलाए गए ‘गिव इट अप’ अभियान के कारण अब तक एक करोड़ लोग अपनी सब्सिडी छोड़ चुके हैं जिससे लाखों बीपीएल परिवारों को उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन मिल रहे है।
बात उज्जवला योजना से हटकर की जाये तो केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में भारत ऊर्जा क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग बढ़ाने के लिए बांग्लादेश के साथ मिलकर तेल और गैस पाइप लाइन बिछाने की योजना पर काम कर रहा है। प्रधान कहते हैं उनकी बांग्लादेश यात्रा के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से ऊर्जा सहयोग के मुद्दे पर सफल बातचीत हुई थी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए हल्दिया के रास्ते पश्चिम बंगाल में स्थित कोंतई से भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित दत्तापुलिया तक पाइप लाइन बिछाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के साथ ऊर्जा सहयोग की दिशा में काफी कुछ हो रहा है। हमने बांग्लादेश को डीजल की आपूर्ति भी शुरू कर दी है। बांग्लादेश को डीजल की आपूर्ति कर रही असम स्थित नुमालीगढ़ रिफाइनरी से भी पाइप लाइन बिछाने की योजना बनाई जा रही है। पेट्रोलियम मंत्री भविष्य की अपनी योजनाआें के बारे में बताते हैं कि उनकी सरकार नई प्रक्रिया के तहत इस साल 10,000 नए एलपीजी वितरक नियुक्त करेगी, ताकि 2018 तक देश भर में स्वच्छ ईंधन पहुंचाया जा सके। देश में फिलहाल करीब 16,000 डीलर हैं। इसमें 10,000 नए तरलीकृत पेट्रोलियम गैस डीलरशिप जोड़े जायेंगे। गौरतलब हो कि मोदी सरकार द्वारा 2016 को एलपीजी उपभोक्ता वर्ष घोषित किया था जो 2018 तक स्वच्छ रसोई गैस देश की पूरी आबादी को उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा और सराहनीय प्रयास है।
बात यहीं तक सीमित नहीं है। पुरातत्व के क्षेत्र में भी ओएनजीसी ने नये कदम बढ़ाये हैं। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल के संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं पर्यटन मंत्रालय के साथ करार किया है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत ‘स्वच्छ स्मारक, स्वच्छ भारत’ नारे के साथ ओएनजीसी ने पुरातत्व सर्वेक्षण और पर्यटन मंत्रालय के साथ करार किया है। इसके तहत देश के स्मारकों के संरक्षण सौंर्दयीकरण और उसके आसपास साफ-सफाई की व्यवस्था की गई है। ओएनजसी इसकी शुरुआत ताजमहल से करेगी। इसके संरक्षण पर वह 20.75 करोड़ रुपये व्यय करेगी। पूरे देश में पर्यटक स्थलों पर स्वच्छ माहौल बनाकर पर्यटकों की संख्या बढ़ाने तथा सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लक्ष्य के साथ यह करार किया गया है। ओएनजीसी यह काम अपनी कारपोरेट सोशल जिम्मेदारी के तहत करेगी। लब्बोलुआब यह है कि हम भले ही ओएनजीसी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हों, लेकिन इस विभाग से मिलने वाली तमाम सेवाएं हमारे दैनिक जीवन के लिये काफी महत्वपूर्ण हैं। इस विभाग को सुगम जिंदगी के लिये महत्वपर्ण पड़ाव के रूप में देखा जाना चाहिए। ओएनजीसी से मिलने वाली सेवाएं हमारी दिनचर्या को काफी सुगम बना देती है। अपने अस्तित्व के करीब छह दशक पार कर चुके ओएनजीसी ने भारत के ऊर्जा सपनों को मूर्त रूप देने के लिए अनेक लक्ष्य पार किए हैं। इन वर्षों में ओएनजीसी की यात्रा विश्वास, साहस और प्रतिबद्धता की एक कहानी रही है। ओएनजीसी के उत्तम प्रयासों के परिणामस्वरूप पहले अग्रवर्ती क्षेत्र नए कार्बन प्रांतों में रूपांतरित हो गए हैं। एक हलकी शुरुआत से ओएनजीसी भंडारों और उत्पादन के हिसाब से विश्व में सबसे बड़ी अन्वेषण एवं उत्पादन कंपनियों में से एक कंपनी बन गई है। एकीकृत तेल और गैस निगमित कंपनी के रूप में ओएनजीसी ने अन्वेषण और उत्पादन व्यवसायों के सभी पहलुओं अर्थात भूकंपीय आंकड़ों के अधिग्रहण, प्रोसेसिंग और व्याख्या (एपीआई), वेधन, वर्क-ओवर और कूप सिमुलेशन प्रचालनों, इंजीनियरी और निर्माण, उत्पादन, प्रोसेसिंग, रिफाइनिंग, परिवहन, विपणन, अनुप्रयुक्त अनुसंधान एवं विकास तथा प्रशिक्षण आदि में आंतरिक सक्षकता विकसित कर ली है।
आज ऑयल एंड नैचुरल गैस कारपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) भारत में अन्वेषण एवं उत्पादन (ई एंड पी) क्रियाकलापों में अग्रणी है, जिसके पास खनिज तेल के भारत के कुल उत्पादन का 72 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस का 48 प्रतिशत का योगदान है। ओएनजीसी ने देश में हाइड्रोकार्बन आरक्षित भंडारों का 7 बिलियन टन से अधिक भंडार स्थापित किया है। वास्तव में, भारत में सात उत्पादनशील बेसिनों में से 6 बेसिन ओएनजीसी द्वारा खोजे गए हैं। ओएनजीसी प्रतिदिन 1.27 मिलियन बैरल से अधिक तेल समतूल्य (बीओई) का उत्पादन करता है। यह एलपीजी, सी2-सी3, नाफ्था, एमएस, एचएसडी, विमान ईंधन, एसकेओ आदि सहित प्रति वर्ष तीन मिलियन टन से भी अधिक के मूल्य वर्धित उत्पादों का योगदान भी करता है। 

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