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कपड़े धोने गई बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद हत्या, विरोध में इलाका बंद

2_1445062849दस्तक टाइम्स/एजेंसी :
रांची/पश्चिमी सिंहभूम। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा में एक छात्रा की गैंगरेप के बाद हुई हत्या के विरोध में शनिवार को लोगों ने बंद का आह्वान किया है। नागरिक एकता मंच की ओर से बुलाए गए इस बंद का गोइलकेरा में खासा असर देखा गया। इलाके की सभी दुकानें बंद रहीं। सड़कों वाहनों का परिचालन थम से गया। स्थानीय लोगों ने गोइलकेरा-चक्रधरपुर मार्ग को जाम कर दिया, जिस कारण यहां यातायात ठप रहा। लोग आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। यहां के स्कूलों में भी इस घटना को लेकर सनसनी है। स्कूल के बच्चों ने विरोध में मार्च निकाला है। स्कूलाें में पढ़ाई ठप है। बच्चे दहशत में हैं।
 
क्या हुआ था ?
गोइलकेरा में हैवानों ने गैंगरेप के बाद चौथी क्लास की स्कूली छात्रा की हत्या कर दी। गोइलकेरा प्रखंड के बेहड़ा गांव निवासी गुड़िया (काल्पनिक नाम) संत पॉल स्कूल में पढ़ती थी। गुरुवार की शाम चार बजे स्कूल से घर लौटने के बाद वह टीचर काॅलोनी के पास मेरालगडा नाले में कपड़ा धोने गई थी। वहीं हैवानों ने उसके साथ मुंह काला किया और हत्या कर दी। शुक्रवार की दोपहर उसकी लाश नाले के पास झाड़ियों में मिली।
 
गला दबाकर मारा, चेहरा पत्थर से कूचा
 
सूचना पाकर गाेइलकेरा थाना प्रभारी पतरस नाग सदलबल पहुंचे। थाना प्रभारी के अनुसार, गला दबाकर गुड़िया को मार डाला गया है। उसका चेहरा भी पत्थर से कूच दिया गया था। पोस्टमार्टम के लिए लाश चाईबासा भेजी गई। छात्रा के पिता के बयान पर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
 
पश्चिमी सिंहभूम जिले में दो माह के अंदर रेप के बाद हत्या की यह चौथी घटना है।
 
भाई के साथ किराए के मकान में रहती थी छात्रा
 
गुड़िया का दाखिला उसके पिता ने संत पॉल स्कूल में कराया था। वह गोइलकेरा में पुराना थाना के पास टुंगरी में भाई के साथ किराए के मकान में रहती थी। उसके चाचा भी पास में ही रहते थे और दोनों बच्चों का देखभाल करते थे। लेकिन, हैवानों ने एक पिता से उनकी फूल जैसी बिटिया छीन ली। छात्रा के पिता चाचा ने बताया कि गुरुवार की देर शाम तक जब गुड़िया घर नहीं आई तो अनहोनी की आशंका में उन्होंने तलाश शुरू कर दी। रात हो जाने के कारण उसे ढूंढा नहीं जा सका। शुक्रवार सुबह उसे तलाशते हुए जब वे नाले के पास गए तो वहां गुड़िया के कपड़े पड़े थे। थोडी दूर पर उसकी चप्पलें और झाड़ियों में उसकी लाश दिखाई दी।
 
ऐसी व्यवस्था में कैसे पढ़ाएं बिटिया को : पीड़ित पिता
सरकार कहती है, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ। मैंने भी सपना देखा था, बेटी पढ़े। आगे बढ़े। नाम ऊंचा करे। कुल-खानदान का नाम रोशन करे। जानें क्या-क्या उम्मीदें पाल रखी थी मैंने। अभी नन्हीं सी जान थी। बस 14 साल की थी गुड़िया। गांव की परेशानी, शहर की मक्कारी, सबसे अनजान थी वो। जब छोटी थी, तब कहती थी-बड़ा होकर अफसर बनेगी। मुझे भी लगता था कि बड़ी होकर मेरी अफसर बिटिया व्यवस्था बदल डालेगी। लेेकिन मुझे क्या पता था कि गांव से शहर आकर मेरी बेटी खो जाएगी। हमेशा के लिए…। कहां है कानून? कहां है व्यवस्था? अब सोचता हूं ऐसी व्यवस्था में कैसे पढ़ाएगा कोई अपनी बिटिया को।

 

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