राजनीति

कर्नाटक फतेह की तैयारी में जुटी बीजेपी

पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे एसएम कृष्णा भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में कृष्णा 22 मार्च (बुधवार) को बीजेपी की सदस्यता लेंगे। पूर्व कांग्रेसी नेता के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें उस समय से लगाई जा रही थी जब उन्होंने कांग्रेस में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। 84 साल के कृष्णा 1968 में पहली बार संसद सदस्य बने थे। 1999 में उन्हें कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया था।

कर्नाटक फतेह की तैयारी में जुटी बीजेपी

84 वर्षीय एसएम कृष्णा ने 29 जनवरी को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वह कांग्रेस में 46 साल रहे। माना जा रहा था कि साल 1999 से 2004 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे कृष्णा पार्टी में दरकिनार किये जाने से निराश चल रहे थे। महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे कृष्णा 2012 में केंद्र से फिर राज्य की राजनीति में लौट गये थे लेकिन पिछले दो साल से पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे थे। विदेश मंत्री पद से हटाए जाने के बाद कृष्णा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सहित राज्य के कांग्रेस नेताओं पर उन्हें नजरअदांज करने का आरोप लगाया था।

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदुरप्पा ने कृष्णा को पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। खबरों के मुताबिक कृष्णा आगामी 9 अप्रैल से बीजेपी के लिए राज्य में चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे। कर्नाटक में मयसूर की नन्जंगुड और गुंडलुपेट विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी को पूरी उम्मीद है कि कृष्णा को पार्टी में लाने से उसकी स्थिति मजबूत होगी। कर्नाटक पहला दक्षिण भारतीय राज्य है जहां भाजपा ने सरकार बनायी थी लेकिन राज्य में भाजपा को सत्ता दिलाने वाले बीएस येदियुरप्पा के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी। इस बार के चुनाव में बीजेपी की पूरी कोशिश होगी कि वह फिर से सत्ता पर काबिज हो जाए।

एसएम कृष्णा कर्नाटक के मण्ड्या जिले से ताल्लुक रखते और राज्य के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं। कृष्णा कांग्रेस में राजनीतिक तौर पर काफी प्रभावी माने जाने वाले वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख नेताओं में रहे हैं। एसएम कृष्णा इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। इस स्थिति में कृष्णा का बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। साल 2017-18 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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