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कांग्रेस स्थापना दिवस पर राज बब्बर ने फहराया झंडा

कांग्रेस पार्टी आज 134 साल की हो गई है। कांग्रेस के 134वें स्थापना दिवस पर पार्टी मुख्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया, तो वहीं उत्तर प्रदेश में भी इसका जश्न देखने को मिला। एक तरफ जहां दिल्ली के मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने झंडा फहराया और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ केक काटा तो वहीं लखनऊ में भी कांग्रेस स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी नेता राज बब्बर ने भी झंडा फहराया और 134 साल पूरे होने की खुशी मनाई।

कांग्रेस स्थापना दिवस पर राज बब्बर ने फहराया झंडा आपको बता दें कि पार्टी की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्दालय में हुई थी। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी 69वें अध्यक्ष हैं। उनसे पहले 59 लोग कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के पद को संभाल चुके है। राहुल गांधी से पहले जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधई ने करीब पांच-पांच ससाल और सोनिया गांधी ने 19 साल तक कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभाला। इनमें पहले महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे दिग्गज नेता शामिल थे।

आजादी के बाद कांग्रेस के पहले अध्यक्ष कृपलानी बने थे। 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चल रहे विवाद के बाद इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के 18 अन्य अध्यक्षों में से 14 गांधी या नेहरू परिवार से नहीं थे।  चुनाव में कांग्रेस ने जवाहर लाल नेहरू के दम पर चुनाव लड़ा और जबरदस्त जीत हासिल की थी। इंदिरा गांधी सात साल कर पार्टी अध्यक्ष बनी रही। वहीं सोनिया गांधी ने लंबे समय तक 19 साल तक अध्यक्ष का पद संभाला।

सोनिया गांधी ने साल 1997 में पार्टी की सदस्यता ली थी और अगले साल 1998 में पार्टी की अध्यक्ष बन गई थी। लाल बहादुर शास्त्री और मनमोहन सिंह कांग्रेस के दो ऐसे नेता रहे हैं, जो प्रधानमंत्री तो बने लेकिन पार्टी अध्यक्ष नहीं रहे हैं।  कांग्रेस पार्टी के गठन में न्याय मूर्ति रानाडे, दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, सुब्रहमण्यम अय्यर और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी जैसे नेताओं ने सहयोग किया। कांग्रेस में सबसे बड़ा बदलाव 1915 में आया, 1915 में महात्मा गांधी ने भारत में आने के बाद राजनीतिक योजनाएं बनाईं। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी कांग्रेस के महासचिव बने। उनकी वजह से ही कांग्रेस की कुलीन वर्ग संस्था वाली छवि टूटी और वह जनता की संस्था बनी।

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