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कारगिल विजय दिवस के 17 साल, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली। आज से ठीक 17 साल पहले भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर भारतीय जमीन से बाहर कर दिया था, जिसे हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऑपरेशन विजय नाम के इस मिशन में भारतमाता के सैकड़ों वीर सपूत शहीद हुए थे। इन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना देश की आन-बान और शान पर विपरीत हालात वाली इस जंग में प्राण न्यौछावर कर दिए थे। इन्हीं शहीदों के बलिदान को आज देश नमन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मौके पर कारगिल युद्ध में शहीद जवानों को याद किया।120367-kargil

On Kargil Vijay Diwas I bow to every valiant soldier who fought for India till the very last breath. Their heroic sacrifices inspire us.

— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2016

We recall with pride, the firmness demonstrated by India’s political leadership in 1999, which ensured a decisive victory in Kargil.

— Narendra Modi (@narendramodi) July 26, 2016

सैनिकों के पराक्रम को सलाम करने के लिए मंगलवार को इंडिया गेट और जंतर-मंतर के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। देश की रक्षा में शहीद होने वाले सैनिकों की याद में जंतर-मंतर पर शहीद स्मृति यज्ञ का आयोजन होगा। शाम को इंडिया गेट तक कैंडल मार्च निकालने की तैयारी है। मंगलवार सुबह जहां केंद्रीय आर्य युवक परिषद द्वारा जंतर-मंतर पर शहीद स्मृति यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। वहीं, शाम को सिटीजन फॉर फोर्स संगठन द्वारा जंतर-मंतर से इंडिया गेट तक कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा। इसमें पूर्व सैनिकों के साथ ही आम लोगों के भी भाग लेने की संभावना है।

कारगिल विजय दिवस के मौके पर रक्षा मंत्री और तीनों सेना के प्रमुखों ने इंडिया गेट पहुंचकर कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। रक्षा मंक्षी मनोहर पर्रिकर, सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग, वायुसेना प्रमुख अरुप राहा और नौसेना प्रमुख एडमिरल रॉबिन कुमार धोवन ने अमर जवान ज्योति पर फूल चढ़ाए और कारगिल युद्ध में शहीद हुए जांबाजों को नमन किया।

इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना अपना काम पूरी निष्ठा से कर रही है। उन्होंने कहा कि सेना ने ये सुनिश्चित किया है कि हमारी सीमाएं पूरी तरह सील हों और किसी भी तरह की घुसपैठ को कामयाब ना होने दिया जाए।

शुक्रवार को वायुसेना के लापता विमान एएन-32 के सर्च ऑपरेशन की जानकारी देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सेना ने लापता विमान की खोज में अपनी पूरी ताकत लगा रखी है और विमान को खोजने की हर स्तर पर पूरी कोशिश की जा रही है लेकिन विमान के बारे में अभी तक कुछ भी पता नहीं लगाया जा सका है।

दो महीने तक चला था कारगिल युद्ध

पूरे दो महीने से भी अधिक समय तक चले इस युद्ध में भारतीय थलसेना व वायुसेना ने ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’ पार न करने के आदेश के बावजूद अपनी मातृभूमि में घुसे आक्रमणकारियों को मार भगाया था। दुश्मन पर मिली 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज अगर हम देश की सरहद के बीच सकून और सुरक्षित होने का एहसास कर पा रहे हैं तो वह हमारे वीर सैनिकों की वजह से है।

ऑपरेशन बद्र

1998-99 की सर्दियों में पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की मिलीभगत से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर कारगिल क्षेत्र में भारतीय सीमा में घुस आई। सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कारगिल पहाडिय़ों पर उन्होंने बेहद सर्दी के दिनों में ही कब्जा जमा लिया। उन्होंने घुसपैठ को ऑपरेशन बद्र नाम दिया।

मकसद

दुश्मन की मंशा कश्मीर को लद्दाख से जोडऩे वाली एकमात्र सड़क एनएच-1 पर कब्जा करने की थी। इससे सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय उपस्थिति पर विपरीत असर पड़ता और उसे कश्मीर की विवादित सीमा के मसले पर बातचीत के लिए विवश होना पड़ता। इसके जरिये पाकिस्तान का मकसद कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीकरण करना भी था।

युद्ध

मई, 1999 में भारतीय सेना को घुसपैठ का पता चलते ही सरकार ने ऑपरेशन विजय की घोषणा की। सेना ने हमला बोल दिया। दो महीने तक दोनों पक्षों में भीषण युद्ध हुआ। कई सैनिक शहीद हुए। पहाड़ की ऊंचाई पर कब्जा जमाने के चलते दुश्मनों को रणनीतिक लाभ मिला लेकिन हमारी सेना के तगड़े प्रहार के चलते जल्दी ही उनके पांव उखड़ गए। एक-एक कर कारगिल की सभी चोटियों पर भारतीय परचम फिर से लहराने लगा। 26 जुलाई, 1999 को विजय की घोषणा हुई।

साजिश

पाकिस्तानी सेना हमेशा अपनी घुसपैठ और युद्ध में शिरकत से इन्कार करती रही लेकिन माना जाता है कि अक्टूबर, 1998 में पाकिस्तानी सेना की कमान संभालने के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी किसी भी भूमिका से इन्कार करते हुए मुशर्रफ को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। मुशर्रफ के रिश्तेदार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शाहिद अजीज ने अपनी किताब ‘ये खामोशी कहां तक’ और पाकिस्तान सेना में कर्नल रहे अशफाक हुसैन ने भी अपनी किताब ‘विटनेस टू ब्लंडर-कारगिल स्टोरी अनफोल्ड्स’ में मुशर्रफ की कुटिल चालों और उनके झूठ को बेनकाब करते हुए कहा है कि उस युद्ध में पाकिस्तान सेना ने भी हिस्सा लिया था।

कारगिल जंग

मई-जुलाई 1999

नुकसान (भारतीय आधिकारिक आंकड़े)

शहीद-527

घायल-1363

युद्धबंदी-1

लड़ाकू विमान गिराया गया-1

लड़ाकू विमान क्रैश-1

हेलीकाप्टर मार गिराया-1

पाकिस्तानी आधिकारिक आंकड़े

मारे गए सैनिक-357-453

घायल-665 से अधिक

युद्धबंदी-8

कैसे आगाज से अंजाम तक पहुंचा कारगिल युद्ध

3 मई- स्थानीय गड़रियों ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की सूचना दी।

5 मई- भारतीय सेना का गश्ती दल भेजा गया। पांच भारतीय सैनिकों को बंधक बनाकर यातनाएं देकर मार दिया गया।

9 मई- पाकिस्तानी सेना की भारी गोलीबारी में कारगिल में रखे भारतीय गोला-बारुद तबाह हुए।

10 मई- द्रास, काकसर और मुश्कोह सेक्टरों में सबसे पहले घुसपैठ का पता चला।

मध्य मई- कारगिल सेक्टर में भारतीय सेना का जमावड़ा।

26 मई- घुसपैठियों पर भारतीय वायुसेना (आइएएफ) ने हमला बोला।

27 मई- आईएएफ के दो लड़ाकू विमान मार गिराए गए। फ्लाइट लेफ्टिनेंच नचिकेता को युद्धबंदी बनाया गया।

28 मई- पाकिस्तान ने आईएएफ एमआई-17 को मार गिराया। चालक दल के चार सदस्य मारे गए।

1 जून- पाकिस्तान ने एनएच-1 पर बम बरसाने शुरू किए।

5 जून- तीन पाकिस्तानी सैनिकों से मिले कागजात को भारतीय सेना ने जारी किए। ये पाकिस्तानी के शामिल होने की कहानी कह रहे थे।

6 जून- भारतीय सेना ने जोरदार जवाबी हमला शुरू किया।

9 जून- बाल्टिक सेक्टर कीदो अहम चौकियों पर भारत ने दोबारा कब्जा जमाया।

11 जून- भारत ने चीन दौरे पर गए पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ की रावलपिंडी में अपने चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान से बातचीत को जारी किया। इसमें पाकिस्तानी सेना के शामिल होने की पुष्टि हो रही थी।

13 जून- द्रास में तोलोलिंग पर कब्जा जमाया गया।

15 जून- तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को फोन पर कारगिल से सेना को पीछे हटने को कहा।

29 जून- भारतीय सेना ने दो अहम चौकियों प्वाइंट 5060 और प्वाइंट 5100 पर कब्जा जमाया।

2 जुलाई- भारतीय सेना ने कारगिल में तिहरा हमला शुरू किया।

4 जुलाई- 11 घंटों की मशक्कत के बाद टाइगर हिल पर भारत का कब्जा।

5 जुलाई- द्रास पर भारत का कब्जा, क्लिंटन से मुलाकात के बाद शरीफ ने पाकिस्तानी सेना को वापस बुलाने की घोषणा की।

7 जुलाई- बटालिक में जुबार चोटी पर भारत ने कब्जा जमाया।

11 जुलाई- पाकिस्तानी सेना के पांव उखडऩे शुरू, बटालिक की प्रमुख चोटियों पर भारत का कब्जा।

14 जुलाई- तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री ने कारगिल को घुसपैठियों से मुक्त कराने के लिए चलाए गए ऑपरेशन विजय को सफल घोषित किया।

26 जुलाई- आधिकारिक रूप से कारगिल युद्ध समाप्त हुआ।

 

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