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किसान कर्जमाफी : योगी के फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक में हलचल

मुंबई। उत्तर प्रदेश में किसान कर्जमाफी के फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के किसान कर्जमाफी के निर्णय से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर राज्य के किसानों की कर्जमाफी का दबाव बढ़ गया है।
किसान कर्जमाफी : योगी के फैसले के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक में हलचल
विपक्ष ने तीन दिन में किसानों का कर्ज माफ की मांग कर फडणवीस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।सूबे की भाजपानीत फडणवीस सरकार ने पांच साल में किसानों का कर्जमाफ करने का वादा किया है लेकिन यूपी में किसान कर्जमाफी के  बाद मामला और अधिक तूल पकड़ लिया है।

एनसीपी सुप्रीमो ने कहा है कि अगर किसानों का कर्जमाफ नहीं होता है तो किसान आत्महत्या करने के बजाए सरकार की नींद हराम कर दें। शरद पवार के भतीजे एवं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने फडणवीस सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि सरकार तीन दिन में निर्णय लें अन्यथा किसानों की कर्जमाफी के लिए विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाएं।

कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी अविलंब कर्जमाफी की मांग की है। महाराष्ट्र में 1 करोड़ 36 लाख किसान हैं जिसमें से 31 लाख किसान कर्जदार हैं। किसान कर्जमाफी के लिए 30 हजार करोड़ की आवश्यकता है। राज्य में 1 करोड़ सात लाख सीमांत किसान हैं जिनकी खेती 3 एकड़ से कम है।

वहीं, ढाई एकड़ जमीनधारक किसानों की संख्या 67 लाख है। सीमांत किसानों के कर्ज की सीमा तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये है, जबकि बड़े किसान जो 5 एकड़ या उससे अधिक खेती है वह 20 हजार करोड़ रुपये के  कर्जदार हैं।

राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि यूपी में किसान कर्जमाफी का वादा पूरा किया है तो महाराष्ट्र में भी वादा निभाएंगे। उचित समय पर किसानों का कर्जमाफ किया जाएगा। फिलहाल, सरकार किसानों की आत्मनिर्भरता के लिए योजनाएं अमल में ला रही है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र की गिनती किसान आत्महत्याग्रस्त वाले राज्यों में होती है। 31 साल पहले अमरवती जिले के साहेबराव नामक किसान की आत्महत्या को सूबे में पहली किसान आत्महत्या के रूप में जाना जाता है। उसके बाद अब तक हजारों किसान बैंक व साहूकार के कर्ज से मुक्त होने के लिए मौत को गले लगा चुके हैं।

 

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