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किसान कर सकते हैं बिजली का उत्पादन

kisan9बेंगलुरू। जल्द ही एक किसान भोजन का उत्पादन करने के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन करेगा। गुजरात के गांधीनगर स्थित शोध केंद्र ‘गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट’ (जीईआरएमआई) के निदेशक तिरुमलाशेप्ती हरीनारायण एवं हैदराबाद के मेधा इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्रा वासवी कामली के शोध से यह निष्कर्ष सामने आया है। एक अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका स्मार्ट ग्रिड एंड रीन्यूएबल एनर्जी के ऑनलाइन संस्करण में 11 फरवरी को प्रकाशित उनके शोध पत्र के मुताबिक किसान अपने खेतों का इस्तेमाल अनाज पैदा करने के साथ बिजली उत्पादन में भी कर सकता है। हरिनारायण ने कहा कि खेतों में अनाज पैदा करने के अलावा उसी जमीन पर सौर पैनल की विशेष तौर पर सुसज्जित छत लगाकर सौर ऊर्जा भी पैदा की जा सकती है।
इस प्रकार से पैदा होने वाली बिजली से पंप चलाकर खेतों की सिंचाई की जा सकती है और अतिरिक्त बिजली को पावर ग्रिड को बेचा भी जा सकता है। किसान अपने जमीन को सरकार या सौर बिजली पैदा करने वाली कंपनी को किराए पर देकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। किसान साथ में अपनी फसल भी लगाते रहेंगे।
शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर मॉडल के माध्यम से किए गए अध्ययन के आधार पर कहा कि सौर पैनल से सूर्य प्रकाश में होने वाली कमी से फसल प्रभावित नहीं होगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि विशेष प्रकार के सौर पैनलों को शतरंज के खानों की तरह सुसज्जित करने तथा बीच बीच में खाली जगह छोड़ देने से खेती के लिए पर्याप्त रोशनी मिलती रहेगी। साथ ही बिजली भी पैदा होती रहेगी। उन्होंने कहा कि सौर पैनलों से सूर्य किरणों में रुकावट सिर्फ दोपहर में ही पैदा होगी जिससे नीचे लगी फसल पराबैगनी किरणों के दुष्प्रभाव से बच जाएगी। दोपहर के वक्त इन खतरनाक किरणों का विकिरण सबसे अधिक होता है। हरिनारायण ने कहा कि उनका अध्ययन अभी कंप्यूटर मॉडल पर आधारित है लेकिन इसे वास्तविक फसल पर भी किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत के 5० फीसदी गांव पावर ग्रिड से नहीं जुड़े हुए हैं इसके चलते किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। दूसरी तरफ सरकार को भी इन गांवों तक बिजली पहुंचाने में काफी खर्च करना होगा। हरिनारायणा ने कहा कि खेतों पर सौर पैनल लगाने से किसानों और सरकार दोनों को फायदा होगा। जीईआरएमआई ने पहले भी दो प्रस्ताव पेश किए थे। एक प्रस्ताव में कहा गया था कि सौर पैनल की एक परत की जगह यदि दो परतों का इस्तेमाल किया जाए तो 7० फीसदी अधिक बिजली पैदा हो सकती है। दूसरे प्रस्ताव में प्रमुख सड़कों पर सौर पैनलों का छत बिछाने की बात कही गई थी। अभी जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर फाम्र्स एवं सोलर पार्क बनाने के लिए बेकार पड़े विशाल भूखंडों की जरूरत होती है जो आज दुर्लभ है।

 

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