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कुंडली में होगा ऐसा योग तो होकर रहेगी लव मैरिज

phpThumb_generated_thumbnail (47)दस्तक टाइम्स एजेंसी/जयपुर। लव मैरिज ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही प्रेमी युगल के मन में मोहब्बत की घंटियां बजने लगती हैं। ज्योतिष शास्त्र में विवाह से संबंधित अनेक योगों का विस्तृत विवरण है और कुछ खास किस्म के योगों का भी जो लव मैरिज को अंजाम तक पहुंचाते हैं। जानिए कुंडली के ऐसे ही कुछ खास योगों के बारे में जो लव मैरिज को संभव बनाते हैं।

  अगर दोनों की राशियां एक दूसरे से समसप्तक हों या एक से अधिक ग्रह समसप्तक हों। चंद्रमा के एक-दूसरे की कुंडली में समसप्तक होने पर वैचारिक तालमेल उत्तम रहता है।
 
दोनों के शुभ ग्रह समान भाव में हों यानी एक की कुंडली में शुभ ग्रह यदि लग्न, पंचम, नवम या केंद्र में हों और दूसरे के भी इन्हीं भावों में हों।
 
– दोनों के लग्नेश और राशि स्वामी एक ही ग्रह हों। एक की राशि मीन हो और दूसरे की जन्म लग्न मीन होने पर दोनों का राशि स्वामी गुरु होगा।
 
दोनों के लग्नेश, राशि स्वामी या सप्तमेश समान भाव में या एक दूसरे के सम-सप्तक होने पर रिश्तों में प्रगाढ़ता प्रदान करेंगे।
 एक के सप्तम भाव में जो राशि हो वही दूसरे की नवमांश कुंडली का लग्न हो या वर/वधु के सप्तमेश की नवमांश राशि दूसरे की चंद्र राशि हो। 
 
सप्तम और नवम भाव में राशि परिवर्तन हो तो शादी के बाद भाग्योदय होता है। सप्तमेश ग्यारहवें या द्वितीय भाव में स्थित हो और नवमांश कुंडली में भी सप्तमेश 2, 5 या 11वें भाव में हो तो ऐसी ग्रह स्थिति वाले साथी से आर्थिक लाभ होता है। 
 इनमें से जितनी अधिक ग्रह स्थितियां दोनों की कुंडलियों में पाई जाएंगी, उनका गृहस्थ जीवन उतना सुखी रहेगा।

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