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कुदरत की अद्भुत उत्पत्ति है ‘मोती’, जो जीव से बनता है, जानें धारण करने से क्या मिलता है लाभ!


नई दिल्ली : कुदरत की अद्भुत उत्पत्ति ‘मोती’ मुख्यतः रत्न नहीं बल्कि एक जैविक संरचना है। बावजूद इसके, इसको नवरत्नों की श्रेणी में रखा जाता है। यह मुख्य रूप से चन्द्रमा का रत्न है। कभी कभी विशेष रूप से औषधि के रूप में भी इसका प्रयोग होता है। चन्द्रमा की तरह उसका रत्न भी शांत, सुन्दर और शीतल होता है, इसका प्रभाव सीधा मन और शरीर के रसायनों पर पड़ता है। मोती का प्रभाव कभी तेज नहीं होता, यह धीरे-धीरे और सूक्ष्म असर डालता है इसलिए लोगों को लगता है कि मोती कभी नुकसान नहीं कर सकता जबकि मोती धीरे धीरे काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
मोती धारण करने के लाभ
– यह मन को शांत करता है , तनाव को घटा देता है
– नींद को दुरुस्त करता है , डर दूर करता है
– हार्मोन को संतुलित करता है
– कभी कभी आर्थिक पक्ष को भी बहुत अच्छा कर देता है
– यह डॉक्टर्स को आम तौर पर लाभ ही पहुंचाता है
क्या होते हैं नुकसान?
मोती पहनने में सावधानी की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, क्योंकि यह मानसिक दशा को धीरे धीरे प्रभावित कर सकता है. यह गंभीर रूप से अवसाद और तनाव की समस्या दे सकता है। यह घबराहट, बेचैनी और चिड़चिड़ापन बढ़ा सकता है, इसके कारण हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है। कभी-कभी बिना कारण रक्तचाप की समस्या हो जाती है।
किसे धारण करनी चाहिए मोती, किसे नहीं?
– अलग अलग लग्नों के अनुसार और अलग अलग तत्वों के अनुसार मोती पहनना शुभ होता है
– मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के लिए मोती धारण करना उत्तम है
– वृष, मिथुन, कन्या, मकर और कुम्भ लग्न के लिए मोती धारण करना खतरनाक है
– सिंह ,तुला और धनु लग्न में , विशेष दशाओं में मोती धारण कर सकते हैं
– अत्यधिक भावुक लोगों और क्रोधी लोगों को मोती नहीं पहनना चाहिए
कैसे करें धारण ?
– मोती को चांदी की अंगूठी में,कनिष्ठा अंगुली में शुक्ल पक्ष के सोमवार की रात्रि को धारण करें
– इसे पूर्णिमा को भी धारण कर सकते हैं
– धारण करने के पूर्व इसे गंगाजल से धोकर, शिव जी को अर्पित करें
– मोती के साथ पीला पुखराज और मूंगा ही धारण कर सकते हैं , अन्य रत्न नहीं।

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